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13 मार्च 2015

कोटा में इन दिनों अचानक सियासी और गैर सियासी इस्लामिक मोलवी मौलानाओ के बीच फतवों के विवाद से माहोल में गर्माहट आ गयी है

कोटा में इन दिनों अचानक सियासी और गैर सियासी इस्लामिक मोलवी मौलानाओ के बीच फतवों के विवाद से माहोल में गर्माहट आ गयी है ,,,जी हाँ दोस्तों जो सियासी मौलाना अपने इल्म को खुदा के पैगाम से अलग हठ कर,,, दुनिया में ,,,सियासत में ,,,अपना दिल लगाकर,,, कॉम को गुमराह कर ,,सियासी सोदेबाज़ियों के बाद ,,राजयसभा या फिर कोई भी सरकारी सुविधाओ वाला ओहदा इख़्तियार कर अपनी जुबां ,,अपनी तालीम को सियासत और खासकर जिस सियासी पार्टी का पट्टा उनके गले में डाला जाता है उस तरफ झुकाव किया जाता है और जनता खासकर मुसलमान ,,खासकर आलिमों को अपना रहबर समझने वाले इस्लामिक लोग खुद को ठगा ठगा सा महसूस करते है ,,फ़िरक़ों की लड़ाई के बाद अब सियासी मौलानाओ की पार्टी बाज़ी की भी लड़ाइयां शुरू हो गयी है ,,,,कोटा में हुज़ूर स अ व के जलसा सीरत में एक सियासी मौलाना पूर्व राजयसभा सदस्य ओबेदुल्ला आज़मी की मौजूदगी के ऐलान के बाद उनके खिलाफ कई मौलाना ,,मुफ़्ती ,,मोलवी एक जुट हो गए है ,,आरोप है के मौलाना ओबेदुल्ला आज़मी ने पिछले दिनों एक रामकथा में शामिल होकर श्रीराम की प्रशंसा कुछ इस तरह से की थी जिसकी इस्लाम इजाज़त नहीं देता है ,,,,,,सियासी मौलानाओ का इस तरह का पैतरा नया नहीं है ,,लेकिन इस बार मौलाना ओबेदुल्ला आज़मी जो पहले जनता पार्टी की तरफ से राज्य सभा में गए थे तब यह कांग्रेस को गलियां बका करते थे ,,फिर यह जनाब जनता पार्टी को छोड़ कर कांग्रेस में गए और कांग्रेस पार्टी के राजयसभा मेंबर बनाये गए ,,इनकी तकरीरों पर सरकार ने पाबंदिया लगाई थी ,,लेकिन अब इन मौलाना का सरकारीकरण और सियासीकरण हों जाने के बाद इनकी तकरीरों से होसला ,,न इंसाफी के खिलाफ इंसाफना बात ,,बेबाकी का वज़न खत्म हो गया है ,,,,इन मौलाना के खिलाफ देश के कई मुफ़्ती ,,मौलानाओं ने रामकथा समर्थन मामले में फतवे मंगाकर इनका विरोध किया है ,,,,दोस्तों सियासी मौलानाओ के खिलाफ कोटा में कुछ इस्लामिक मौलानाओ ने आवाज़ तो उठाई है ,,लेकिन अब वोह डरे सहमे है और सरेंडर से लग रहे है ,,,,,,खेर फतवे के मामले में हाल ही में सुप्रीमकोर्ट ने एक सामजिक फैसला सुनाकर फतवागीर सौदागरों की नाक में नकेल डाल दी है ,,सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा है के कोई भी फतवा ज़बरदस्ती मान्य नहीं है ,,वैसे भी फतवा किसी व्यक्ति के खिलाफ अगर दिया जाता है तो उसकी सुनवाई बगैर दिया गया फतवा जारी नहीं किया जा सकता ऐसे मोलवी ,,मौलाना ,,मुफ्तियों के खिलाफ जो निजी तोर पर एक तरफा फतवे जारी करते है उनके खिलाफ मान हानि जैसे अपराध में मुक़दमा दर्ज करवाने की सम्भावनाये बढ़ गई है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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