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01 मार्च 2015

मनोजभट्ट का राजस्थान पुलिस में सिरमौर यानी पुलिस महानिदेशक बनना आमजनता के हक़ में उन्हें न्याय दिलाने की तरफ एक बेहतर और अच्छा क़दम है ,,,

अपराधियों की नब्ज़ समझकर उन्हें नियंत्रित करने में पारंगत वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मनोजभट्ट का राजस्थान पुलिस में सिरमौर यानी पुलिस महानिदेशक बनना आमजनता के हक़ में उन्हें न्याय दिलाने की तरफ एक बेहतर और अच्छा क़दम है ,,,,,,,, मनोज भट्ट लगभग सभी प्रमुख ज़िलों और रेंज में पुलिसिंग का कार्य सफलतापूर्वक कर चुके है ,,कोटा से मनोजभट्ट का पुराना नाता रहा है कोटा में मनोजभट्ट के पुलिस अधीक्षक कार्यकाल में विकट परिस्थिति होने के बावजूद भी कामयाब फार्मूला तैयार किया गया था ,,सियासी दबावों के बावजूद भी ,,निजी सुचना तंत्र को मज़बूत कर अधीनस्थ अधिकारीयों और अपराधियों की साठगांठ पर निगरानी ,,अपराधियों की गतिविधियों पर नज़र रखकर उनके खिलाफ छापामार कार्यवाही उनकी अपराध नियंत्रण प्रणाली का प्रमुख हिस्सा है ,,,मनोजभट्ट अपराधियों के अपराध से नफरत करते है और प्रारम्भ में उन्हें सुधरने का अवसर देने के बाद भी नहीं सुधरने पर फिर उस अपराधी की सारी सिफारिशें ,,सारा धन बल ,,बाहुबल की गलतफहमी वोह मिनटों में खत्म करते रहे है ,,,,,मित्रों से मित्रता निभाना ,,क़ानून व्यवस्था का प्रबंधन ,,अपने स्टाफ और अधीनस्थ पुसलिसकर्मियों की कल्याणकारी गतिविधियों का लाभ उनतक पहुंचाना ,,,,,अधीनस्थों की समस्याएं सुनकर समझकर उन्हें इन्साफ दिलाना ,,,उनका मक़सद रहा है ,,उनका फार्मूला है दबाव में ,,थकान में स्टाफ को झुंझलाहट होती है ,,,,स्टाफ से होती है ,,,कार्यगुणवत्ता में भी कमी आती है ,,इसलिए मनोज भट्ट आम लोगों के मानवाधिकारों के संरक्षण के साथ साथ पुलिस स्टाफ के भी अधिकारों का संरक्षण करते है इसीलिए मनोजभट्ट जनता और स्टाफ में लोकप्रिय है ,,,कोटा पुलिस अधीक्षक कार्यकाल के दौरान मनोजभट्ट रोज़ मुझ सहित कई पत्रकारों से फीडबैक लेते थे ,,उन्हें खबरे बताते थे और खबर ब्रीफिंग में रचनात्मक पहलु होते थे ,,,परिवार के संस्कार ने मनोजभट्ट को जनता के प्रति समर्पण का भाव सिखाया है वोह कहते है के पीड़ितों को इंसाफ दिलाना ही उनकी कार्यपूजा है ,,,,वोह सियासत से दूर रहकर सभी सियासी लोगों को अपने सिद्धांतों ,,कर्तव्यों ,,ईमानदारी को जीवित रखकर निभाते है ,,,राजस्थान में पुलिस अधिनियम दो हज़ार सात में लागू हुआ लेकिन पुलिस कल्याण ,,जनता की सुनवाई ,,,समितियों का गठन ,,पुलिस कोष कल्याणकारी प्रभाव ,,,नियामक आयोग ,,पीड़ित पुलिस कर्मियों की सुनवाई मामले में आज तक कोई आयोग ,,समितियां गठित हुई है ,,ट्रांसफर का फार्मूला भी पुलिस अधिनियम के प्रावधानों के तहत तय नहीं होकर मनमाना है ,,,,लेकिन मनोज भट्ट का इस पद पर सरकार द्वारा चयन करने के बाद सरकार की इस मामले में चिंता दूर हो गयी है और अब राजस्थान की जनता ,,अधीनस्थ स्टाफ को उनसे काफी उम्मीदे बढ़ी है जबकि अपराधियों और अपराधियों से साठगांठ कर आम जनता पर ज़ुल्म ढाने वाले लोगों की अब खेर नहीं है ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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