आपका-अख्तर खान

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13 मार्च 2015

ऐ अल्लाह में तेरा शुक्रिया कैसे अदा करू

ऐ अल्लाह में तेरा शुक्रिया कैसे अदा करू ,,तू रब्बुल असबाब है ,,तूने मुझे ऐसे चाहने वाले दोस्त दिए ,,ऐसे मददगार दिए ,,मेरे हज़ारो हज़ार दोस्त ,,खासकर फेसबुक से जुड़े भावनात्मक मित्र दिए ,,जो मेरे सुक्ख दुःख के हर लम्हे में मेरे साथ खड़े मिलते है ,,जब मेरी सालगिरह ,,शादी की सालगिरह या कोई ख़ुशी की बात होती है तो मेरे यह दोस्त मुझे मुबारकबाद देकर ,,मेरे साथ बेहिसाब खुशियां बाँट कर मुझे गद गद कर देते है ,,मेरे यही दोस्त जब मुझे या मेरे परिवार को संकट में देखते हो तो बेशुमार दुआओं से अल्लाह से मेरे अपनों के लिए खुशिया और सह्त्याबी मांगने में भी पीछे नहीं हटते ,,अभी हाल ही में मेरी शादी की सालगिरह थी ,,यक़ीनन मेरे सैकड़ों दोस्तों ने मुझे मुबारकबाद से नवाज़ा ,,मेरे साथ बैठ कर मिलकर खुशियाँ बाँटी ,,में गौरवान्वित था ,,खुश था ,,अभिभूत था ,,मेरे दोस्तों का में कैसे शुक्रिया अदा करूँ में सोच ही रहा था के अचानक मेरी वालदा को दिल का दोरा पढ़ा ,,सारी खुशियां काफूर हुई ,,,मेने मेरे दोस्तों से मेरा दर्द बांटा ,,,,अल्लाह का शुक्र है मेरा हर दोस्त कसोटी पर खरा उतरा ,,मेरे हज़ारों दोस्तों ने मिलकर जज़्बाती रूप से दुर दराज़ के इलाक़ो में होने पर भी मेरी वालदा की सह्त्याबी उम्रदराज़ी के लिए दिल से दुआ की ,,,,खुदा का शुक्र है के मेरे सभी दोस्तों की दुआओ ,,अल्लाह की महरबानी से मेरी वालदा का ऑपरेशन सफल रहा ,,आज मेरी वालदा आई सी यू से ऑपरेशन के बाद ओब्ज़र्वेशन प्राइवेट वार्ड में है ,,,,स्वस्थ है ,,,,डॉक्टर्स ने आज उन्हें उठाया ,,बिठाया और थोड़ा चलाया भी ,,में वालदा की खिदमत में मसरूफ था इसलिए अपने दोस्तों का शुक्रिया भी अदा ना कर सका ,,लेकिन जब मेने फेसबुक और वत्स एप पर मेरे दोस्तों की जानिसारी ,,मेरे दोस्तों के अपनेपन के जज़्बात देखे ,,,उनका प्यार ,,,उनकी सद्भावना देखी यक़ीनन मेरी आँखों में ख़ुशी के आंसू थे ,,मेरे सभी सोशल मीडया मित्रो के प्यार से में बेशुमार दोलत का बादशाह खुद को महसूस कर रहा था ,,,बिल ग्रेड ,,अम्बानी ,,अडानी ,,टाटा ,,बिरला किया मेरे दोस्तों की प्यार की दौलत के आगे सभी उद्योगपतियों की दोलत बोनी बोनी सी नज़र आ रही थी ,,में मेरे दोस्तों के प्यार की वजह से खुद को अमीर महसूस कर रहा था ,,मेरे पास मेरे दोस्तों की इस जानिसरी ,,इस प्यार ,,इस जज़्बात को ज़ाहिर करने के लिए कोई अलफ़ाज़ ,,कोई आवाज़ ,,कोई प्रतीकात्मक इशारा नहीं है ,,में शुक्रिया भी अदा कर मेरे दोस्तों का अपमान नहीं करूंगा ,,बस खुदा से दुआ करूँगा ,,इल्तिजा करूँगा मुझे हर दौर में हमेशा ऐसे ही रचनात्मक विचार ,,,प्यार ,,मोहब्बत ,,ख़ुलूस बांटने वाले दोस्त मिले ,,, में खुदा का शुक्रगुज़ार हु जो मुझे ऐसे दोस्त देकर खुदा ने बेहिसाब दौलत से अमीर बना दिया ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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