आपका-अख्तर खान

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02 मार्च 2015

में अलफ़ाज़ हूँ ,,

में अलफ़ाज़ हूँ ,,,,,मुझ में विनम्रता है ,,मुझ में गर्मी है ,,मुझ में गुस्सा है ,,मुझ में कड़वाहट है ,,मुझ में मिठास है ,,,,मुझ में नफरत है ,,मुझ में प्यार है ,,,हां में अलफ़ाज़ हूँ ,,मुझे उर्दू में अलफ़ाज़ ,,हिंदी में शब्द कहते है ,,,,,मुझे कुछ भी कहे लेकिन में ,,सभी की जुबां ,,सभी के हलक से निकलता हूँ ,,मुझ से ही भजन बने है ,,मुझ से ही गीत ,,ग़ज़ल बने है ,,मुझ से ही ग़ज़ल ,,दुआ ,,हम्द ,,नात और क़व्वाली बने है ,,,,में अलफ़ाज़ हूँ ,,मुझ से ही लोगों की बुराई होती है ,,मुझ से ही लोगों की तारीफ़ होती है ,,में कुछ नहीं करता ,,आपके दिमाग और ख्यालों के बाद जैसे बनाकर आप निकालते हो में निकलता हूँ ,,में योगी आदित्यनाथ ,,,अशोक सिंघल ,,,,असादुद्दीन ओबेसी के मुंह से भी निकल कर नफरत भड़काता हूँ ,,तो लता मंगेशकर के मुंह से मौसीक़ी सुनाता हूँ ,,में नरेंद्र मोदी के मुंह से निकल कर सभी को मंत्रमुग्ध करता हूँ ,, मोलवी ,,पंडितों के मुंह से निकल कर मज़हबी पाठ पढ़ाता हूँ ,,,में अल्फ़ाज़ हूँ ,,मेरा इस्तेमाल आपके हाथ में है ,,मुझ से आप प्यार ,,विनम्रता ,,अपनापन ,,भाईचारा सद्भावना के विचार निकाल सकते हो ,,,मुझ से आप नफरत ,,फरेब ,,धोखा ,,,जुमला ,,,निकाल सकते हो ,,में अलफ़ाज़ हूँ ,,आप मेरा कैसा इस्तेमाल पसंद करेंगे प्लीज़ बताएंगे ,,में अलफ़ाज़ हूँ ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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