आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

05 फ़रवरी 2015

अपने पहलु में

अपने पहलु में
बिठा कर
यूँ प्यार जताना
साथ जीने
साथ मरने की
यूँ हाथ में हाथ लेकर
बेहिसाब कसमे खाना ,,
प्यार निभाने के वक़्त
तुम्हारा यूँ हर बार
बहाने बनाना
तुम्हारा रूठ जाना
तुम्हारा ऐंठ जाना
यूँ तो कोई नई बात नहीं
तुमने हमेशा मुझे सताया
मेने हर बार तुम्हे मनाया
लेकिन इस बार तुमने
दिल तोडा नहीं
मसखरी नहीं की है
सच में नफरत की है
सच में नफ़रत की है
मुझ से होती तो सह लेता
लेकिन ऐ बेवफा तुमने
मेरे प्यार के
क़ुसूर की सज़ा
मेरे बच्चो से भी
नफरत करके दी है ,,
में शजदर ,,में टुटा हुआ
मेरे तो प्यार की
इंतिहा रही
तुम्हारे प्यार की तो
बस हाँ बस
इब्तिदा भी ना रही ,,,,,,
मुझ से नफरत थी तुम्हे
कोई बात नहीं
लेकिन उफ़
वक़्त यह सच दिखायेगा मुझे
तुम्हे मेरे बच्चो से भी
कोई प्यार कोई उन्सियत नहीं रही ,,,,,,,अख्तर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...