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28 फ़रवरी 2015

राज्य उपभोक्ता फोरम की सर्किट बेंच तो है लेकिन पद रिक्त हो जाने से कमसे कम जून माह तक तो कोटा में सुनवाई सम्भव नहीं

उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने की बात करने वाली इस सरकार में उपभोक्ताओं को उनके साथ हो रही ठगी ,,सेवाओं में त्रुटि के दोष के लिए अभी फीलहाल क़ानून के मुताबिक़ जल्दी समय पर इन्साफ मिलना मुमकिन नहीं हुआ है ,,कोटा में राज्य उपभोक्ता फोरम की सर्किट बेंच तो है लेकिन पद रिक्त हो जाने से कमसे कम जून माह तक तो कोटा में सुनवाई सम्भव नहीं है ,,,,राजस्थान में अशोक गेहलोत सरकार ने वकीलों से किए गए वायदे के वायदे के मुताबिक़ कोटा में राजस्थान उपभोक्ता आयोग की सर्किट बेंच खोलने के निर्देश दिए थे जिसके तहत कोटा में सुनवाई लगातार चल रही थी लेकिन अब जस्टिस परिहार की सेवानिवृत्ति के बाद चावला जो कोटा सुनवाई के लिए आते थे वोह जयपुर ही सुनवाई कर रहे है इसलिए सम्भवत राठोड साहब की नई नियुक्ति तक होने तक कोटा सर्किट बेंच में उपभोक्ता मामलों की सुनवाई बंद रहेगी ,,,,,,,,,,,,,,कोटा में इन दिनों हज़ारों हज़ार उपभोक्ता मामले विचाराधीन है यहां जिला स्तर पर दो उपभोक्ता फोरम में मामलों की सुनवाई है लेकिन सरकार की कल्याणकारी नीति की क्रियानविती नहीं होने से उपभोक्ता परेशान है ,,,,,,,,,,,,,,उपभोक्ता नियम के तहत किसी भी उपभोक्ता की तरफ से अब रसद अधिकारी ,,रसद निरीक्षक ,,समाजसेवी संगठन द्वारा उपभोक्ता को न्याय दिलवाने के लिए मुक़दमा करने का प्रावधान है क्योंकि उपभोक्ता कोंसिल का सदस्य संभागीय आयुक्त के साथ रसद अधिकारी समाज सेवी भी होते है ,,,,कहने को तो उपभोक्ता क़ानून सादे कागज़ पर शिकायत लिख कर परिवाद पेश करने का है लेकिन अब इस नियम को विधिवत कर देने ,,,,निर्धारित शुल्क तय कर देने ,,तीन तीन पत्रावलियां शपथपत्रों के साथ पेश करने की बाध्यता ,,खुद रजिस्ट्री लिफ़ाफ़े पेश कर तलबी करने की बाध्यता के कारण उपभोक्ता के लिए त्वरित और सस्ते न्याय की बात ख़्वाब बनकर रह गयी है ,,,,,वकील का खर्च ,,टाइप खर्च ,,शुल्क ,,,,फाइलों का खर्च छोटे मामलों में तो उपभोक्ता मामला पेश करने की हिम्मत ही नहीं करता ,,,,सरकार द्वारा अधिकृत समाजसेवी संस्थाए ,,रसद निरीक्षक इस मामले में कोई सुनवाई नहीं करते नतीजा दो वर्षो में किसी भी सरकारी संस्था या रसद निरीक्षक ने उपभोक्ताओं को न्याय दिलवाने के लिए कोई मुक़दमा अब तक पेश नहीं किया है ,,,,,,उपभोक्ता क़ानून के तहत उपभोक्ता फॉर्म एक सिविल न्यायालय है यानी दस से पांच बजे तक की सुनवाई होगी जबकि सदस्यों और चेयरमेन कर्मचारियों को वेतन भत्ते भी दस से पांच के ही मिलते है लेकिन मेने कोटा उपभोक्ता फोरम को आज तक दस से पांच तक सुनवाई करते नहीं देखा ऐसा लगता है जैसे कोई पार्ट टाइम सुनवाई लंच बाद होती हो जो गलत है और उपभोक्ताओं के साथ विश्वासघत है ,, सर्किट बेंच का भी यही हाल है फूल टाइम सुनवाई नहीं तो फिर मामले तो पेंडिंग रहेंगे ही ,,उपभोक्ता क़ानून की धारा 13 कहती है के तलबी में इक्कीस दिन का नोटिस देकर अधिकतम पैतालीस दिन में जवाब तलब कर समूचे प्रकरण की सुनवाई तीन माह में पूरी करना होगी लेकिन यहां तो एक तारीख ही तीन माह की जाती है ,,,बरसों से उपभोक्ता मामले अदालतों में घिसट रहे है ,,,अगर विशेषज्ञ राय का मामला होगा तो मामला पांच माह में निस्तारित करना होगा उपभोक्ता क़ानून उन्नीस सो छियासी में आम जनता को खरीद फरोख्त सेवाओं में त्रुटि का दोष और क्वालिटी कंट्रोल के लिए बनाया गया था जिसे उन्नीस सो इक्रानवे फिर दो हज़ार दो में संशोधित किया गया ,,,जिला स्तर पर बीस लाख ,,,राज्य स्तर पर एक करोड़ और इससे ऊपर के मामलों के वाद राष्ट्रीय आयोग में पेश करने का प्रावधान है ,,ताज्जुब है सरकारें ,,उपभोक्ता जागरूक समितिया ,,अख़बार ,,समाजसेवक इस मामले में चुप्पी क्यों साधे इस तरह के मामलों की सुनवाई निर्धारित समयावधि में क्यों तय नहीं होती ,,नियमों का सरकीकरण कर मुफ्त में जल्दी उपभोक्ता को न्याय मिले ऐसा क़ायदा ऐसा क़ानून क्यों नहीं बनाया जाता ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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