कोच्चि.
यहां अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के सर्जनों की एक टीम ने दोनों
हाथों का प्रत्यारोपण करने में सफलता हासिल की है। डॉक्टरों का दावा है कि
भारत में पहली बार किसी व्यक्ति के दोनों हाथों का प्रत्यारोपण किया गया
है। उन्होंने यह भी दावा किया कि एक रंग की त्वचा वाले हाथों के
प्रत्यारोपण का भी यह दुनिया का पहला मामला है। सर्जरी के बाद 14 दिनों के
अंदर दोनों हाथ शरीर से पूरी तरह जुड़ गए हैं।
मेडिकल साइंस की यह दुर्लभ कामयाबी 20 से ज्यादा सर्जनों की टीम ने 16
घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद हासिल की। ऑपरेशन को 12 और 13 जनवरी को अंजाम
दिया गया। 30 वर्षीय मनु ने एक ट्रेन हादसे में अपने दोनों हाथ गंवा दिए
थे। डॉक्टरों ने मनु को एक सड़क हादसे के शिकार 24 वर्षीय ब्रेन डेड युवक
बिनॉय के हाथ लगाए गए।
मनु को एक महिला के साथ दुर्व्यव्हार का विरोध करने पर कुछ लोगों ने
ट्रेन से धक्का दे दिया था। प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के हेड डॉ.
सुब्रमण्यम अय्यर के मुताबिक हाथ प्रत्यारोपण के इस विवरण को इंटरनेशनल
रजिस्ट्री ऑफ हैंड ट्रांसप्लांट में शामिल कर लिया गया है, जिससे आगे ऐसे
मामलों में मदद मिलेगी। प्रत्यारोपण का पूरा खर्च माता अमृतानंदमयी मठ ने
वहन किया।
ऐेसे चला ऑपरेशन
डॉ. सुब्रमण्यम अय्यर ने बताया कि मनु के प्रत्येक हाथ की दो
हड्डियां, दो धमनियां, चार नसों और करीब 14 शिराओं को जोड़ा गया। ऑपरेशन के
बाद उसे ट्रांसप्लांट आईसीयू में रखा गया, जहां उसके हाथों में खून की
नियमित सप्लाई की सावधानीपूर्वक निगरानी की गई और उसे संक्रमण से बचाने के
सभी उपाय किए गए। दूसरे दिन मरीज के बाएं हाथ की खराब हो चुकी स्किन के
एरिया को बदला गया। डॉ. अय्यर ने बताया कि सर्जरी के बाद 14 दिनों के अंदर
दोनों हाथ शरीर से पूरी तरह जुड़ गए। अब मरीज आईसीयू से बाहर आ चुका है और
डॉक्टरों की देखरेख में है। मनु के हाथों में उत्तेजना धीरे-धीरे लौट आएगी,
फिलहाल इसमें अभी 3-4 महीने का वक्त लगेगा।
13 साल पहले हुआ था पहला ट्रांसप्लांट
दुनिया में हाथ का पहला सफल ट्रांसप्लांट 13 साल पहले फ्रांस में किया
गया था। अमेरिका, यूरोपीय देशों, चीन और ऑस्ट्रेलिया में कुल मिलाकर अब तक
हाथ के सिर्फ 110 सफल प्रत्यारोपण हुए हैं।
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