चंडीगढ़। भगवान
शिव के दर्शन करने के लिए पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से हजारों
श्रद्धालु हर साल अमरनाथ की यात्रा पर जाते हैं। हालांकि, इस मुश्किल
यात्रा के दौरान कुछ अपनी जान भी गंवा बैठते हैं। शिवरात्रि के पावन अवसर
पर हम आपको अमरनाथ गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं। अमरनाथ गुफा का सबसे
पहले पता सोलहवीं शताब्दी के पूवार्द्ध में एक मुसलमान गड़रिए को चला था।
यही कारण है कि आज भी एक-चौथाई चढ़ावा उस मुसलमान गड़रिए के वंशजों को
मिलता है।
कहा जाता है कि एक गड़रिए को भेड़ें चराते हुए एक साधु मिला...
पवित्र गुफा की खोज के बारे में कहा जाता है कि एक गड़रिए को भेड़ें चराते हुए एक साधु मिला। उसने उस गड़रिए को कोयले से भरी एक बोरी दी। गड़रिया बोरी लेकर जब घर आया तो उसने देखा कि बोरी का कोयला सोना-चांदी के सिक्कों में बदल चुका था। वह हैरत में पड़ गया।
देखा तो भगवान शिव बर्फ के बने शिवलिंग के आकार में स्थापित थे...
इसके बाद वह गड़रिया साधु की तलाश में निकल पड़ा और उसी स्थान पर गया, जहां साधु से मिला था। वहां उसे साधु तो नहीं मिला, बल्कि ठीक उसी जगह एक गुफा थी। गड़रिए ने गुफा में प्रवेश किया तो उसने वहां बर्फ का शिवलिंग देखा। उसने वापस आकर सबको यह कहानी बताई और इस तरह भोले बाबा की पवित्र अमरनाथ गुफा की खोज हुई।
इसके बाद वह गड़रिया साधु की तलाश में निकल पड़ा और उसी स्थान पर गया, जहां साधु से मिला था। वहां उसे साधु तो नहीं मिला, बल्कि ठीक उसी जगह एक गुफा थी। गड़रिए ने गुफा में प्रवेश किया तो उसने वहां बर्फ का शिवलिंग देखा। उसने वापस आकर सबको यह कहानी बताई और इस तरह भोले बाबा की पवित्र अमरनाथ गुफा की खोज हुई।
अमरनाथ गुफा एक नहीं है...
धीरे-धीरे दूर-दूराज के स्थानों से भी लोग पवित्र गुफा एवं बाबा के
दर्शन के लिए पहुंचने लगे। आश्चर्य की बात यह है कि अमरनाथ गुफा एक नहीं
है। अमरावती नदी के पथ पर आगे बढ़ते समय और भी कई छोटी-बड़ी गुफाएं दिखती
हैं। वे सभी बर्फ से ढंकी हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)