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02 जनवरी 2015

लाखों की नौकरी छोड़ सुनाते हैं कथा, दिन की शुरुआत होती है नमाज से




सनावद (खरगोन). हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई हम सब हैं भाई-भाई। इसका एक उदाहरण हैं रायपुर छत्तीसगढ़ के मोहम्म्द फैज खान। प्रोफेसर जैसी लाखों की नौकरी छोड़ लोगों को गोकथा सुना रहे हैं। दिन की शुरुआत नमाज से करते हैं और दोपहर में हिंदू समाज के लोगों को गो कथा सुनाते हैं। उन्हें यह प्रेरणा गिरीश पंकज के उपन्यास एक गाय की आत्मकथा से मिली।
लाखों की नौकरी छोड़ सुनाते हैं कथा, दिन की शुरुआत होती है नमाज से
 
इन दिनों सनावद से करीब 15 किमी दूर खंडवा जिले के बेड़ियाखुर्द में गो कथा कर रहे हैं। गोकथा के साथ मुस्लिम नाम होने के कारण लोग आश्चर्च कर पहुंच रहे हैं। रमज़ानुल मुबारक में वह पूरे 30 दिन के रोजे भी रखते हैं। वह पिछले दो साल से गो कथा कर रहे हैं।
 
उपन्यास के मुस्लिम किरदार को जीवन में उतारा 
 फैज खान के माता पिता शिक्षक हैं। फैज ने खुद राजनीति विज्ञान से डबल एमए किया है। दो साल पहले वह रायपुर में प्रोफेसर थे। एक उपन्यासकार गिरीश पंकज के उपन्यास एक गाय की आत्मकथा से प्रेरित हो गए। इसमें नायक एक मुस्लिम होता है। यहीं से अपने जीवन में उस किरदार को अपनाने की ठान ली। संत गाेपाल मणी से हिमालय में मुलाकात हुई। यहां उनका धेनु मानस ग्रंथ पढ़ा आैर फिर गोकथा वाचक बन गए। 
 
15 दिसंबर से सिर्फ गाय के दूध का सेवन, 51 दिन करेंगे 
मो. फैज खान 15 दिसंबर से सिर्फ गाय के दूध का सेवन कर रह हैं। 24 घंटे में वह दो लीटर देशी गाय का दूध पीते हैं। वह बताते हैं देशी गाय अब कम ही मिल पाती है। 10 नवंबर 13 में 22 दिन तक सिर्फ गाय के दूध का ही सेवन किया था। गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने को लेकर दिल्ली में अनशन भी कर चुका हूं।
 
लोगों को गाय के दूध का सेवन करने के लिए प्रेरित करता हूं। लेकिन 99 फीसदी लोग इस पर अमल नहीं करते। 51 दिन तक गाय के दूध का ही सेवन कर मैं यह बताना चाहता हूं कि इसे पीकर व्यक्ति किस तरह जीवित रह सकता है।
 
एक वक्त की नमाज जरूर पढ़ते हैं
खान ने बताया दिन की शुरुआत फजर की नमाज से करता हूं। इसके बाद गोकथा कभी-कभी दिनभर चलती है। इसलिए जब वक्त मिलता है जोहर, असर, मगरीब व ईशा की नमाज पढ़ता हूं। भारत की सनातन संस्कृति के प्रति निष्ठा है। इसी का एक अंग गाय और गंगा है। जिससे हर धर्म का व्यक्ति लाभ उठाता है।

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