ये अजगर नहीं, 4 हजार रु. किलो की बाबर मछली है, शारीरिक कमजोरी करती है दूर
गर्म जलवायु में रहती है ज्यादा : एंगुला मछली की प्रजाति गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में ज्यादा रहती है। अंडमान-निकोबार, चायना, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफ्रीका देशों, मलेशिया, बर्मा आदि इसके मुख्य स्थान है। समुद्र में जुड़ने वाली नदियों भी यह पहुंच जाती है। यह मछलियां पनामा नहर में बड़ी मात्रा में देखी गई है।
बाबर मछली की विशेषता
बाबर मछली बड़ी नदियों में मिलती हैं। तैरते समय मछली से शरीर से तैलीय द्वव्य छोड़ती है। यह व्यक्ति का स्टेमिना, प्रतिरोधक यौन क्षमता बढ़ाती है और दिल की बीमारी, जोड़ों के दर्द में भी काम आती है। अत्यधिक गर्म होने के कारण एक व्यक्ति 250 ग्राम से ज्यादा सेवन नहीं कर सकता। यह कुछ समय तक पानी के बाहर भी जीवित रह सकती है।
यह विलुप्तता की ओर है
इंदौर/ खरगोन. सर्प
जैसी फुंफकार। मुंह अजगर जैसा। लंबाई एक से ढाई फीट तक और कीमत चार हजार
रुपए प्रति किलो। जी हां यह है बाबर मछली। गुरुवार को पुनासा का गबरू वर्मा
बाबर मछली बेचने शहर आया। प्रजाति का नाम सुनते उसे खरीदने भीड़ जमा हो गई।
कई रोगों में कारगर यह मछली एक घंटे में करीब 7 किलो बिक गई। मत्स्य विभाग
के अनुसार निमाड़ में यह मछली नर्मदा के गहरे पानी में ही मिलती है।
गर्म जलवायु में रहती है ज्यादा : एंगुला मछली की प्रजाति गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में ज्यादा रहती है। अंडमान-निकोबार, चायना, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफ्रीका देशों, मलेशिया, बर्मा आदि इसके मुख्य स्थान है। समुद्र में जुड़ने वाली नदियों भी यह पहुंच जाती है। यह मछलियां पनामा नहर में बड़ी मात्रा में देखी गई है।
बाबर मछली की विशेषता
बाबर मछली बड़ी नदियों में मिलती हैं। तैरते समय मछली से शरीर से तैलीय द्वव्य छोड़ती है। यह व्यक्ति का स्टेमिना, प्रतिरोधक यौन क्षमता बढ़ाती है और दिल की बीमारी, जोड़ों के दर्द में भी काम आती है। अत्यधिक गर्म होने के कारण एक व्यक्ति 250 ग्राम से ज्यादा सेवन नहीं कर सकता। यह कुछ समय तक पानी के बाहर भी जीवित रह सकती है।
दवाइयों का भी निर्माण
बाबर मछली एंगुला की 23 प्रजातियों में से एक है। इससे दवाइयों का भी निर्माण होता है। -प्रो.महेश निगवाल, प्राणीशास्त्र, पीजी कॉलेज खरगोन
यह विलुप्तता की ओर है
बाबरमछली अब बहुत कम देखी जाती है। यह विलुप्तता की ओर है। इसके संरक्षण के लिए विभाग को प्रस्ताव भेजेंगे। -टी.एस.चौहान, सहायकसंचालक मत्स्य विभाग खरगोन
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