नई दिल्ली. दुनिया भर के 4844 स्क्रीन पर शुक्रवार को रिलीज हुई आमिर खान की फिल्म 'पीके' में
मिले रोल ने अंधे की एक्टिंग कर भीख मांगने वाले शख्स की जिंदगी बदल दी।
कुछ समय पहले तक सड़क किनारे गुजारा करने वाले मनोज रॉय के पास अब अपने
गांव की दुकान में नौकरी, फेसबुक अकाउंट और गर्लफ्रेंड है।
39 साल के मनोज कुछ महीने पहले तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर अंधा बनकर
भीख मांगते थे। मनोज के मुताबिक, "कुछ महीने पहले दो लोग मेरे पास आ और
उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं एक्टिंग कर सकता हूं? मैंने उनसे कहा कि
दो वक्त की रोटी के लिए एक्टिंग ही मेरा आसरा है। उन्होंने मुझे 20 रुपए का
नोट और एक फोन नंबर दिया और चले गए।"
मनोज ने उस नंबर पर कॉल किया। जिस शख्स ने फोन उठाया उसने मनोज से
नेहरू स्टेडियम आने को कहा। मनोज ने बताया, "मैं अगले ही दिन वहां गया और
खुद को फिल्म यूनिट के बीच पाया। मुझे सात अन्य भिखारियों के साथ एक तरफ ले
जाया गया, जहां मेरा ऑडिशन हुआ। मुझे फिल्म या कलाकारों की ज्यादा चिंता
नहीं थी। मुझे तो बस एक हफ्ते तक मुफ्त मिल रहे भोजन से मतलब था। एक हफ्ते
बाद मेरा सिलेक्शन हो गया।"
फिल्म पीके में मनोज रॉय को सड़क के किनारे एक छड़ी के सहारे भीख
मांगते हुए दिखाया गया है। इस दौरान मनोज आमिर के आने और उनके साथ डांस
करने का इंतजार करते हैं। यह दृश्य पांच सेकंड का है।
पांच सेकंड ने बदली जिंदगी
पीके में पांच सेकंड के रोल ने मनोज की जिंदगी बदल दी। मनोज के मुताबिक, "फिल्म में मेरे रोल की बात सामने आने के बाद जब मैं गांव लौटा तो मेरा जोरदार स्वागत हुआ। मेरे पास फिल्म से कमाए पैसे थे। लोग अब मुझे पीके हनी सिंह बुलाते हैं। मुझे गांव की ही दुकान में नौकरी मिल गई है। यह सब फिल्म की वजह से हुआ।"
पीके में पांच सेकंड के रोल ने मनोज की जिंदगी बदल दी। मनोज के मुताबिक, "फिल्म में मेरे रोल की बात सामने आने के बाद जब मैं गांव लौटा तो मेरा जोरदार स्वागत हुआ। मेरे पास फिल्म से कमाए पैसे थे। लोग अब मुझे पीके हनी सिंह बुलाते हैं। मुझे गांव की ही दुकान में नौकरी मिल गई है। यह सब फिल्म की वजह से हुआ।"
आगे की योजना
अपने भविष्य को लेकर मनोज उम्मीदों से भरे हुए हैं। मनोज का कहना है कि वे असमी या बंगाली फिल्म में अभिनय के बारे में सोच रहे हैं। यही नहीं, वे अपनी गर्लफ्रेंड से क्रिसमस के मौके पर पहली बार मुलाकात के बारे में भी सोच रहे हैं।
अपने भविष्य को लेकर मनोज उम्मीदों से भरे हुए हैं। मनोज का कहना है कि वे असमी या बंगाली फिल्म में अभिनय के बारे में सोच रहे हैं। यही नहीं, वे अपनी गर्लफ्रेंड से क्रिसमस के मौके पर पहली बार मुलाकात के बारे में भी सोच रहे हैं।
गरीबी की वजह से मनोज बना था भिखारी
मनोज असम के सोनितपुर जिले के बेदेती का रहने वाला है। उसके पिता
दिहाड़ी मजदूर थे। मनोज के जन्म के बाद ही उसकी मां की मौत हो गई थी। उसे
स्कूल छोड़कर भीख मांगकर गुजारा करना पड़ा, क्योंकि उसके पिता बीमार पड़ गए
और काम नहीं कर पाते थे। 20 साल पहले नौकरी करने के लिए मनोज ने दिल्ली
आने वाली ट्रेन पकड़ी। लेकिन दिल्ली पहुंचने के बाद मनोज ने नौकरी की जगह
भीख मांगने का फैसला किया। मनोज के मुताबिक, वह हाथ में कटोरा लेकर अंधे की
एक्टिंग कर गुजारा करने लगा।
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