अजमेर। भ्रष्टाचार
के मामले में विशेष अदालत ने राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन के डिप्टी
मैनेजर सुरेंद्र शर्मा सहित उनके पूरे परिवार को 6-6 साल की सजा सुनाई है।
कोर्ट ने उनकी पत्नी अरुणा, बेटे गौरव व बेटी गरिमा को काली कमाई के लिए
उकसाने का दोषी माना है। प्रकरण बहुचर्चित पशु आहार घोटाले से जुड़े आय से
अधिक संपत्ति का है।
25-25 लाख का जुर्माना
भ्रष्टाचार मामलों की विशेष अदालत के न्यायाधीश फूलचंद झाझड़िया ने
चारों पर 25-25 लाख रुपए का जुर्माना भी किया है। जुर्माना नहीं चुकाने पर
एक-एक साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।
प्रदेश में भ्रष्टाचार के आरोपी के पूरे परिवार को सजा मिलने का संभवतया पहला मामला है।भ्रष्टाचार के इस बड़े मामले में सुरेंद्र शर्मा के खिलाफ तीन केस दर्ज हुए थे। इनमें से एक में उसे पहले ही दो साल कैद की सजा हो चुकी है।
जबकि पद के दुरुपयोग के एक मामले में शर्मा सहित अन्य आरोपी बरी हो गए थे। तीसरा मामला आय से अधिक संपत्ति का दर्ज हुआ था। इसमें शर्मा का पूरा परिवार आरोपी था। अदालत ने शर्मा को भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(2) सपठित धारा 13(1)(ई) के तहत भ्रष्ट साधनों से काली कमाई का दोषी माना, जबकि उनकी पत्नी अरुणा, बेटे गौरव व बेटी गरिमा पर आईपीसी की धारा 109 के तहत भ्रष्टाचार के लिए उकसाने के आरोप साबित हुए। चारों को सजा सुनाने के बाद केंद्रीय कारागृह भिजवा दिया गया।
काली कमाई को बचाने के लाख जतन, पर कोर्ट में सब फेल
मूक पशुओं के आहार में मिलावट करने और फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपए का
घोटाला करने वाले सुरेंद्र शर्मा का पूरा परिवार काली कमाई को खपाने में
जुटा हुआ था। शर्मा ने पत्नी, बेटे और बेटी के नाम पर बैंक लॉकर व खाते
खोले और काली कमाई इनमें जमा करवाई। बचाव के लिए पूरे परिवार ने जोड़-तोड़
लगाए। अरुणा ने बताया यह राशि ब्यूटी पार्लर का संचालन कर व बैंकों में जमा
रकम के ब्याज से अर्जित की है। बेटी गरिमा ने एक कंपनी से वेतन मिलने सहित
बैंकों से मिलने वाले ब्याज से संपत्तियां व रकम जमा करना बताया। बेटे
गौरव ने एक फर्म के नाम पर कमाई बताई थी। शर्मा ने कोर्ट में दलील दी-
कैंसर का मरीज हूं। बेटी की शादी होनी है। सजा में नरमी बरती जाए। सजा
मिलते ही शर्मा परिवार के होश फाख्ता हो गए।
अदालत ने कहा कि एक पढ़ा-लिखा परिवार अगर काली कमाई को सहज, सरल तथा
सुविधापूर्ण बनाने के लिए जानबूझकर उत्प्रेरित करता है तो उन्हें निर्दोष
नहीं माना जा सकता है।
'भ्रष्टाचार समाज में कैंसर की तरह फैल रहा है। आम आदमी भ्रष्टाचार से
आहत है। लोक सेवक द्वारा ईमानदारी से मिलने वाले वेतन भत्तों के अलावा
अन्य साधनों से धन एकत्रित करने की लालसा ने समाज के मानक मूल्यों काफी
नुकसान पहुंचाया है। एक मात्र लक्ष्य येन केन प्रकारेण धन एकत्रित करना बन
गया है। ऐसी प्रवृत्ति को रोकना जरूरी है। इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए
उदाहरणस्वरूप कठोर दंड दिया जाना जरूरी है ताकि भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन
नहीं मिले।' -न्यायाधीश फूलचंद झाझड़िया, जैसा फैसले में लिखा
तब दंग रहे गए थे एसीबी अफसर
एसीबी ने 6 अगस्त 2010 को शर्मा को गिरफ्तार किया था। उसके कब्जे से 1 लाख रुपए बरामद हुए। एसीबी की टीमों ने शर्मा के वैशालीनगर स्थित आवास की तलाशी ली तो मोटी रकम के साथ ही लॉकरों की सूचना मिली। अजमेर, जयपुर व बीकानेर स्थित बैंक लॉकरों ने नोट व सोना उगला तो एसीबी के अधिकारी भी दंग रह गए। करीब आठ करोड़ रु. नकद व 9 किलो 826 ग्राम से ज्यादा सोना मिला।
एसीबी ने 6 अगस्त 2010 को शर्मा को गिरफ्तार किया था। उसके कब्जे से 1 लाख रुपए बरामद हुए। एसीबी की टीमों ने शर्मा के वैशालीनगर स्थित आवास की तलाशी ली तो मोटी रकम के साथ ही लॉकरों की सूचना मिली। अजमेर, जयपुर व बीकानेर स्थित बैंक लॉकरों ने नोट व सोना उगला तो एसीबी के अधिकारी भी दंग रह गए। करीब आठ करोड़ रु. नकद व 9 किलो 826 ग्राम से ज्यादा सोना मिला।
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