आपका-अख्तर खान

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04 दिसंबर 2014

ना जाने क्यों

ना जाने क्यों
मेरे हर अलफ़ाज़
उन्हें बकवास से लगते है ,,
में मोहब्बत लिखता हूँ
में प्यार लिखता हूँ
में अपने दिल की तड़पन लिखता हूँ ,,
ना जाने क्यों
मेरे हर अलफ़ाज़
उन्हें बकवास से लगते है
कभी वोह मुझे
टूटकर चाहते है
कभी वोह मुझे
तोड़कर रुलाते है
कभी वोह मुझे बिन पानी
मछली की तरह तड़पाते है
ना जाने क्यों
में और मेरे अल्फ़ाज़
उन्हें बकवास से लगते है ,,अख्तर

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