फोटो: नए कानून के मुताबिक ड्रेस कोड का पालन न करने मोटरसाइकिल पर
जाते परिवार को पर रोकते पुलिसकर्मी। इस्लामिक कानून में कसे पैंट पहनने
पर पाबंदी है।
बंदा अचेह। इंडोनेशिया के रूढ़िवादी प्रांत अचेह में अब
मुस्लिमों और गैर मुस्लिमों दोनों को समान रूप से सख्त इस्लामिक कानून के
तहत जिंदगी जीनी पड़ रही है। मुस्लिम बहुल आबादी वाले देश इंडोनेशिया के 34
राज्यों में से ये अकेला ऐसा राज्य है, जिसने पूरी सख्ती के साथ नया
इस्लामिक कानून लोगों पर थोप दिया है। अचेह में इस्लामिक कानून 2001 से ही
लागू है, लेकिन सितंबर में इस धार्मिक दंड संहिता को सभी धर्म के लोगों पर
लागू कर दिया गया। लिहाजा अब प्रांत में रह रहे सभी 90 हजार गैर-मुस्लिम भी
इसके नतीजे झेल रहे हैं।
रेप, समलैंगिक कृत्य और विवाह से पहले के संबंध के मामले अब इस्लामिक
कोर्ट के दायरे में आ गए हैं और कोर्ट द्वारा इसके लिए सजा सुनाई जाएगी।
सार्वजनिक तौर पर मारपीट करने पर भी सजा है। इसके साथ ही एल्कोहल खरीदने या
ले जाने पर 10 बेंत मारने, 10 महीने की कैद या फिर 100 ग्राम सोने का
जुर्माना देने समेत दोषी को कई तरह की सजा का सामना करना पड़ सकता है।
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस कानून को लेकर चिंता जाहिर
की है और अचेह में बेंत या उससे बने सामान पर रोक लगाने की मांग की है।
एमनेस्टी ने इस मानवाधिकार उल्लंघन और प्रताड़ना को अंतरराष्ट्रीय कानून के
खिलाफ बताया है। साथ ही, इसे इंडोनेशिया के कानून के भी खिलाफ बताया है।
इस कानून के लागू होने के बाद अब सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामिक
कानून का गैर-मुस्लिमों समेत ईसाइयों पर थोड़ा प्रभाव भी पड़ा है।
हालांकि, कैथोलिक चर्च के पादरी हरमनस सहर का कहना है कि अब तक शरीया
कानून का उल्लंघन करने पर किसी भी कैथोलिक को सजा नहीं मिली है और वो
उम्मीद करते हैं कि भविष्य में भी ऐसा ही हो। शरिया कानून लागू होने के तीन
महीने बाद यहां हम अचेह की कुछ तस्वीरें दिखा रहे हैं, जो यहां इस कानून
के असर को दिखा रही हैं।
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