उर्दू जुबांन का आज़ादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है ,,,सही
मायनो में अगर कहा जाए के आज़ादी की लड़ाई में जिस जुबांन के ज़रिये
आंदोलनकारियों में शक्ति का संचार किया गया उसमे उर्दू जुबां सर्वोच्च है
,,,,,,आज राजकीय महाविद्यालय कोटा में उर्दू विभाग द्वारा आज़ादी के आंदोलन
में उर्दू ज़ुबान के योगदान विषय पर व्याख्यान माला रखी जिसमे मुख्यातिथि
और वक्ता प्रोफेसर एहतेशाम अख्तर पाशा थे ,,,,,,कार्यक्रम में बोलते हुए
राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफ़ेसर लोहिया ने उर्दू जुबां की
नफासत नज़ाकत की प्रशंसा करते हुए कहा के ,,इंक़लाब ज़िंदाबाद ,,ऐसा नारा है
जो उर्दू ज़ुबान ने दिया है और आज़ादी के आंदोलन से आज तक यह नारा संघर्ष का
एक प्रतीक बना हुआ है ,,,,कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर हुस्न आरा
ने कहा के आज़ादी के आंदोलन में उर्दू ज़ुबान के योगदान का अंदाज़ा इसी से
लगाया जा सकता है के अंग्रेज़ों ने आज़ादी का आंदोलन दबाने के लिए दमनकारी
नीति के तहत उर्दू की 581 किताबें प्रतिबंधित की थी जबकि हिंदी जुबां की
264 किताबे प्रतिबंधित की गयी थी यह एक सरकारी रिकॉर्ड है ,,, कार्यक्रम
में उर्दू ज़ुबान की विभागयाध्यक्ष डॉक्टर कमर जहा भी मौजूद थी , जबकि उर्दू
के छात्र छात्राओं ने इस सेमीनार के ज़रिये काफी खोजपूर्ण जानकारियां
प्राप्त की जो उनके लिए भविष्य में भी उपयोगी रहेंगे ,,,अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान
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