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03 दिसंबर 2014

पाकिस्तानी ने 20 साल भारतीय सेना में नौकरी की, 14 साल से ले रहा है पेंशन

(फोटो- मोहम्मद फारुख।)
 
जयपुर. 20 साल तक एक पाकिस्तानी नागरिक हिंदुस्तानी फौज में नौकरी करता रहा। रिटायर हो गया। पेंशन भी शुरू हो गई। अब नौकरी खत्म होने के 14 साल बाद मामले का खुलासा हुआ है। जांच राजस्थान की झुंझुनूं पुलिस कर रही है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भी दस्तावेज भेजे गए हैं। मामला झुंझुनूं के हमीर खां का बास निवासी मोहम्मद फारुख का है। फारुख पाकिस्तानी नागरिक हैं। वीजा अवधि बढ़वाकर भारत में रह रहे हैं। दिलचस्प यह है कि उन्हें वे सभी सुविधाएं मिल रही हैं जो किसी भारतीय सैनिक को रिटारयमेंट के बाद मिलती हैं। मामला चूरू एसपी ऑफिस को मिली शिकायत के बाद खुला। बाद में चूरू एसपी ऑफिस ने मामले की पत्रावली झुंझुनूं एसपी ऑफिस भेज दी। झुंझुनूं एसपी सुरेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि यह संवेदनशील मामला है। फारुख की वीजा वृद्धि के दस्तावेज केंद्रीय गृह मंत्रालय को भिजवाए हैं।

नागरिकता पर क्या नियम?

जो लोग 19 जुलाई 1948 से पहले पाकिस्तान से भारत आए, उन्हें स्वतः: भारतीय नागरिक मान लिया गया। इसके बाद आने वाले पाकिस्तानी नागरिकों के लिए कई तरह के नियम लागू हैं। मौजूदा नियमों के अनुसार मां-बाप को भले नागरिकता मिल जाए, लेकिन बच्चों को अलग आवेदन करना होता है।
मां पाकिस्तानी थी, बाद में हिंदुस्तान की नागरिकता ली, लेकिन फारुख वहीं के रहे

फारुख हिंदुस्तानी पिता और पाकिस्तानी मां की संतान हैं। फारुख का जन्म पाकिस्तान में हुआ। पिता झुंझुनूं में ही रहते थे। फारुख की मां 60 के दशक में उन्हें लेकर भारत आईं। तब वे डेढ़ साल के थे। यहां उनकी मां ने तो भारतीय नागरिकता ले ली, लेकिन फारुख की नागरिकता के लिए कभी आवेदन नहीं किया। 1980 में फारुख सेना में बतौर ग्रेनेडियर भर्ती हुए। नागरिकता संबंधी दस्तावेज मांगे गए तो फारुख ने मूल निवास प्रमाण पत्र पेश कर दिया। इसी आधार पर नौकरी मिल गई। वर्ष 2000 में वे रिटायर हो गए। दस्तावेजों में फारुख के पिता का नाम कहीं अकबर अली है तो कहीं यूनुस कायमखानी है। अभी उनके पास 2016 तक का वीजा है।

मूल निवास के आधार पर दी नौकरी : सेना

सेना में राशन कार्ड और मूल निवास के आधार पर नौकरी दी जाती है। अब नागरिकता को लेकर बहुत सख्ती है। 1980 में इन बातों पर ज्यादा गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जाता था। —लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष ओझा, प्रवक्ता, सेना

1992 में पता चला-मैं पाकिस्तानी हूं

हम तीन भाई और एक बहन हैं। मेरे अलावा बाकी सभी के पास भारत की नागरिकता है। मुझे अपनी नागरिकता के बारे में पहली बार 1992 में पता लगा। मैं जब सेना में भर्ती हुआ तो जन्म तिथि, शिक्षा, राशन कार्ड आदि दस्तावेज मांगे गए थे। यही मैंने सेना को सौंपे थे। इसी आधार पर मुझे चुना गया। -मोहम्मद फारुख

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