(नसबंदी कांड में दवा खाने से हुई थी महिलाओं की मौत)
नई दिल्ली /रायपुर। नसबंदी कांड की जानलेवा दवा सिप्रोसिन 500
को खाने से लेबोरेटरी में चूहों की भी मौत हो गई। ये दवाइयां जांच के लिए
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई), दिल्ली भेजे गए थे। वहां इस
दवाई को चूहों को खिलाया गया था। चौबीस घंटे के भीतर चूहों की मौत हो गई।
ये वो दवाइयों के सैंपल थे, जो बिलासपुर के तखतपुर स्वास्थ्य केंद्र से
इकट्ठा किए गए थे। जांच में पता चला कि दवा की क्वालिटी खराब थी। वहीं जो
दवाइयां गौरेला से जब्त की गई थीं, उसके सैंपल में भी जिंक एलुमीनियम और
फास्फाइड था। राज्य सरकार ने पहली बार स्वीकार किया कि मानकों का ध्यान
नहीं रखा गया। ये रिपोर्ट शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को
सौंपी गई। दवाओं को मौत का जिम्मेदार ठहराने वाली राज्य सरकार ने पहली बार
जांच रिपोर्ट में माना कि नसबंदी कैंप के लिए मौजूदा स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग
प्रोसीजर्स (एसओपी) का उल्लंघन हुआ है। विभिन्न लैब को भेजे गए दवाओं के
सैंपल को भी केंद्र सरकार के साथ साझा किया है। "भास्कर' के पास रिपोर्ट की
प्रति है।
यह है मामला
8 और 10 नवंबर को बिलासपुर के तख्तपुर, गोरेला, पेंड्रा और मारवाही ब्लॉक में 137 महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन किया गया था। कुल 13 महिलाओं की मौत हो गई थी। सिप्रोसिन 500 दवा खाने वाली चार अन्य महिलाएं और दो पुरुषों ने भी दम तोड़ दिया था। मामले की ज्यूडिशियल इंक्वायरी हो रही है। दो वरिष्ठ अधिकारियों को बर्खास्त व तीन को निलंबित किया गया है। बिलासपुर के ज्वॉइंट डायरेक्टर डॉ. अमरसिंह का ट्रांसफर किया जा चुका है।
केंद्र ने दिए दिशा-निर्देश
रिपोर्ट के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को
नसबंदी के लिए मौजूदा दिशा-निर्देशों को कड़ाई से लागू करने के लिए कहा है।
जनसंख्या नियंत्रण के लिए अन्य उपायों को तरजीह देने को भी कहा है।
क्या है डॉ. आरआर साहनी की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में
- नसबंदी कैंप लगाने के लिए मौजूदा एसओपी का उल्लंघन हुआ है।
- नसबंदी कैंप में नियमों को ताक पर रखकर ऑपरेशन करने की बात को प्रमुखता से रखा गया है।
- सिप्रोसिन-500 महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण है।
- ऑपरेशन और बिना ऑपरेशन वाली महिलाओं को ‘सिप्रोसिन- 500’ दवा दी गई थी।
- डॉ. जैन क्लिनिक से मिले ‘सिप्रोसिन-500’ के सैंपल नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई, दिल्ली) में भेजे गए। जांच के लिए इसे चूहों को खिलाया गया। 24 घंटों में ही इसे खाने वाले चूहों की मौत हो गई।
- गौरेला सीएचसी से मिले ‘सिप्रोसिन-500’ को श्रीराम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च, दिल्ली भेजा गया। जांच में सैंपल की क्वालिटी खराब निकली। सैंपल में जिंक-एलुमिनियम व फास्फाइड था।
- तखतपुर सीएचसी में इकट्ठा ‘सिप्रोसिन-500’ के सैंपल क्वालिचैम लेबोरेट्री, नागपुर भेजे गए। यहां भी क्वालिटी खराब पाई गई। दवाओं में जिंक-एलुमिनियम, आयरन और मैगनीज भी मौजूद था।
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