फाइल फोटो: यादव सिंह।
नोएडा. नोएडा प्राधिकरण समेत तीन अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर यादव
सिंह के घर इनकम टैक्स के छापे में उनकी गाड़ी से 10 करोड़ कैश मिला है।
इसके अलावा 100 करोड़ रुपए कीमत की डायमंड ज्वेलरी जब्त किए गए हैं। इनका
वजन करीब दो किलो है। प्रदेश के कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में यादव
सिंह की हिस्सेदारी बताई जाती है। उनके कई मॉल भी निर्माणाधीन हैं। बताया
जा रहा है कि चीफ इंजीनियर और उनके परिवार के सदस्यों के पास कुल करीब एक
हजार करोड़ रुपए कीमत की संपत्ति हो सकती है। हालांकि, इस बात की आधिकारिक
तौर पर पुष्टि अभी बाकी है। छापेमारी की खबर सामने आने के बाद यादव सिंह
को नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर पद
से हटा दिया गया है।
इनकम टैक्स विभाग के वरिष्ठ अफसर कृष्णा सैनी के मुताबिक, 'पूरा मामला
यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता और उनके पार्टनरों-राजेंद्र मनोचा, नम्रता
मनोचा और अनिल पेशावरी द्वारा 40 कंपनियां बनाकर हेराफेरी करने का है। बोगस
शेयर होल्डिंग के बूते सिर्फ नाम के लिए करीब 40 कंपनियां बनाकर नोएडा
विकास प्राधिकरण से प्लॉट आवंटित करवाए गए। इसके बाद प्लॉट कंपनी समेत बेच
दिए। इससे हुई आय को दस्तावेजों में न दिखा कर बड़े पैमाने पर आयकर चोरी की
गई। इसकी विस्तृत जानकारी शुक्रवार को दी जाएगी।'
बीवी के फर्म के जरिए बेचते थे प्लॉट
यादव सिंह नोएडा अथॉरिटी में तैनाती का फायदा उठाते हुए अपनी पत्नी के
नाम रजिस्टर्ड फर्म को सरकारी दर पर बड़े-बड़े व्यावसायिक प्लॉट अलॉट करा
देते थे। इसके बाद इन्हीं प्लॉट को वह बिल्डरों को काफी ऊंचे दामों में बेच
देते थे। अधिकारियों ने यादव सिंह की पत्नी के नाम से चल रही मैकॉन
इंफ्राटेक और मीनू क्रिएशंस नाम की फर्मों में छापेमारी की। इस दौरान
जमीनों की खरीद-फरोख्त से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए।
20 टीमों ने 30 ठिकानों पर छापा
यादव सिंह के घर पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की छापेमारी शुक्रवार को
भी जारी रही। आईटी विभाग की टीम को नोएडा के सेक्टर-51 में ए-10 स्थित
उनके घर से 90 लाख रुपए की ऑडी कार भी मिली है। गौरतलब है कि गुरुवार को
इनकम टैक्स की 20 टीमों ने यादव सिंह और उनकी पत्नी के 30 ठिकानों पर छापा
मारा था। ये ठिकानें गाजियाबाद, दिल्ली और नोएडा में हैं। टीम ने कई अहम
दस्तावेज जब्त किए। इसके अलावा 13 लॉकर भी सीज किए। दस्तावेजों के आधार पर
यादव द्वारा करोड़ों रुपए के टैक्स चोरी का अनुमान लगाया गया है।
100 मीटर ग्रीन बेल्ट पर कब्जा
यादव सिंह के नोएडा स्थित सेक्टर 51 की कोठी पर छापा मारने पहुंची आयकर विभाग की टीम कोठी के सामने खास तौर पर तैयार किए गए ग्रीन बेल्ट को देखकर दंग रह गई। तकरीबन सौ मीटर के हिस्से में बनी ग्रीन बेल्ट में ईको फ्रेंडली शौचालय, फुट लाइट, चार्जिंग प्वॉइंट, कबूतरों का पिंजड़ा और रंग-बिरंगे झूले और बेंच देख सभी दंग रह गए। ग्रीन बेल्ट में ही यादव सिंह के घर के लिए जनरेटर और एक ट्रांसफामर रखा हुआ था। अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर होने के नाते यादव सिंह की एक जिम्मेदारी ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्जे को हटाना भी था, लेकिन वे खुद ऐसी पट्टी पर कब्जा किए हुए थे।
यादव सिंह के नोएडा स्थित सेक्टर 51 की कोठी पर छापा मारने पहुंची आयकर विभाग की टीम कोठी के सामने खास तौर पर तैयार किए गए ग्रीन बेल्ट को देखकर दंग रह गई। तकरीबन सौ मीटर के हिस्से में बनी ग्रीन बेल्ट में ईको फ्रेंडली शौचालय, फुट लाइट, चार्जिंग प्वॉइंट, कबूतरों का पिंजड़ा और रंग-बिरंगे झूले और बेंच देख सभी दंग रह गए। ग्रीन बेल्ट में ही यादव सिंह के घर के लिए जनरेटर और एक ट्रांसफामर रखा हुआ था। अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर होने के नाते यादव सिंह की एक जिम्मेदारी ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्जे को हटाना भी था, लेकिन वे खुद ऐसी पट्टी पर कब्जा किए हुए थे।
प्रतीकात्मक तस्वीर
कोलकाता से शुरू किया था खेल
अधिकारियों के अनुसार, यादव सिंह ने नोएडा अथॉरिटी के प्लॉट का पूरा
खेल कोलकाता में 40 फर्जी कंपनियां बनाकर शुरू की। दस्तावेजों के अनुसार,
इन कपंनियों को नोएडा अथॉरिटी के प्लॉट आवंटित किए गए थे। इन सभी के शेयर
बाद में दूसरी कंपनियों को बेच दिए गए। इससे करोड़ों के प्लॉट भी दूसरी
कंपनियों को ट्रांसफर हो गए। इनकी खरीद-फरोख्त से हुई इनकम पर कोई टैक्स
नहीं जमा किया गया। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट यूपी सरकार के कई अधिकारियों से
भी पूछताछ कर रही है।
'शेल' कंपनियों का खेल
इनकम टैक्स डायरेक्टर जनरल (जांच) कृष्ण सैनी ने बताया कि ये सारा खेल
'शेल' कंपनियों के जरिए होता था। शेल कंपनियां, बस नाम की कंपनियां होती
हैं। व्यावहारिक रूप में इनका कोई वजूद नहीं होता। जांच के दौरान यह बात
सामने आई है कि रजिस्टर्ड कंपनियां बनाकर नोएडा से प्लॉट आवंटित किए जाते
थे। बाद में इनके शेयर शेल कंपनियों को बेचे जाते थे। इससे यह नहीं पता चल
पाता था कि इनपर कैपिटल गेन कितना बना। इस तरह टैक्स की चोरी की जाती थी।
राजनीतिक कनेक्शनों के चलते चर्चा में रहे यादव
यादव सिंह नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी भले ही चीफ इंजीनियर हो, लेकिन
अपने राजनीतिक कनेक्शनों को लेकर हमेशा चर्चा में रहे। मायावती सरकार के
दौरान भी यादव पर नोएडा में कई परियोजनाओं में धांधली के आरोप लगे थे। यादव
की हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने नियमों को ताक पर
रखकर 954 करोड़ रुपये के ठेके अपने करीबियों को बांट दिए थे। इसके बाद
अखिलेश सरकार ने यादव सिंह के खिलाफ विभागीय जांच बिठाकर उन्हें निलंबित कर
दिया था। बाद में उनका निलंबन वापस ले लिया गया।
लगाई थी नोट गिनने की मशीन
मायावती शासनकाल में जूनियर इंजीनियर के पद पर तैनात हुए यादव सिंह को
मायावती सरकार में ही चीफ प्रॉजेक्ट इंजीनियर (जल) बनाया गया। यह पोस्ट
सबसे ज्यादा कमाई वाली मानी जाती है। एक बार तो यादव सिंह पर अपने दफ्तर
में ही नोट गिनने की मशीन लगवा ली थी। इसे लेकर काफी विवाद हुआ था।
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