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03 नवंबर 2014

हाईकोर्ट का चौंकाने वाला फैसला, रजोनिवृत्त महिला से जबरन शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं

नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने एक चौंकाने वाले फैसले में कहा है कि रजोनिवृत्त हो चुकी किसी महिला से जबरन शारीरिक संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता। जस्टिस प्रदीप नंद्राजोग व जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने इसी अनूठे तर्क के आधार पर आरोपी अच्छेलाल (49) को बरी कर दिया। उसे निचली अदालत ने दोषी मानते हुए 10 साल कैद की सजा सुनाई थी।
 
फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए ख्यात वकील वृंदा ग्रोवर ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है, आखिर किस आधार पर कोर्ट इस नतीजे पर पहुंची कि यह दुष्कर्म का केस नहीं है। इससे रजोनिवृत्ति का क्या लेना-देना है।
 
फैसले में यह
 
धारा 376 के तहत महिला के साथ जबरन संबंध दंड योग्य है। लेकिन इस मामले में महिला की उम्र 65-70 बरस है, यानी वह रजोनिवृत्त हो चुकी है। ऐसे में बनाया गया संबंध उग्र तेवर का (फोर्सफुल)हो सकता है, पर इसे जबरन बनाया गया (फोर्सिबल) संबंध नहीं करार दिया जा सकता। इस फैसले का अर्थ यह है कि अगर कोई  महिला रजोनिवृत हो चुकी है तो उसे दुष्कर्म पीड़ित नहीं माना जा सकता।

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