फाइल फोटो: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी।
अलीगढ़. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में राजा महेंद्र प्रताप
की जयंती मनाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर अब
यूनिवर्सिटी के अध्यापक भी सामने आ गए हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
टीचर्स एसोसिएशन ने संघ और बीजेपी के नेताओं की आलोचना करने के साथ ही
कुलपति को भी निशाने पर लिया है। एसोसिएशन ने आरएसएस के नेताओं और कुलपति
के बीच हुई कथित गुप्त मीटिंग पर भी नाराजगी जताई है। आरएसएस पर निशाना
साधते हुए एसोसिएशन ने कहा, 'मुस्लिमों का सम्मान न करने वाले प्रतिनिधियों
से मिलना मुसलमानों के सम्मानजनक स्थान के लिए लड़ने वालों के खिलाफ जाता
है। यह एएमयू में भारतीय मुसलमानों की आस्था से भी धोखा है। किसी को इस
धोखे में नहीं रहना चाहिए कि यह अन्य किसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसी है।'
एएमयू के बारे में एसोसिएशन ने कहा, 'भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले
मुसलमानों के लिए एएमयू गर्व का विषय है और शिक्षा के इस महान केंद्र को
किसी का प्यादा नहीं बनने दिया जाएगा। टीचर्स एसोसिएशन ने किसी भी राजनीतिक
दल के दबाव में जयंती मनाने का विरोध किया फिर चाहे वह केंद्र में ही
क्यों न हो।'
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने यूनिवर्सिटी कैंपस के
राजनीतिकरण पर चिंता जताई है। एसोसिएशन ने कहा, 'बीजेपी राजा महेंद्र
प्रताप की विरासत पर कब्जा करना चाहती है। राजा धर्म निरपेक्ष थे, जो
बीजेपी की नीतियों से मेल नहीं खाता।' एसोसिएशन के सचिव आफताब आलम ने कहा
कि कुछ लोग इस मुद्दे को लेकर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे
हैं ताकि राजनीतिक लाभ लिया जा सके। टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि राजा
महेंद्र प्रताप सामाजिक परिवर्तन के क्रांतिकारी पुरोधा थे। 1957 में जनसंघ
ने उनके खिलाफ प्रत्याशी उतारा था। जनसंघ के नए अवतार में बीजेपी गलत
तरीके से उनकी विरासत पर दावा कर रही है।
इससे पहले एएमयू के वाइस चांसलर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन
शाह ने यूनिवर्सिटी के अंदर बीजेपी के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर कड़ी
आपत्ति जताई है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को लिखे अपने खत
में उन्होंने कार्यक्रम की वजह से सांप्रदायिक तनाव फैलने की आशंका जताई
है।
उन्होंने स्मृति ईरानी को लिखा है, 'यूनिवर्सिटी किसी भी तरह की
राजनीति या किसी राजनीतिक आयोजन में हिस्सा नहीं चाहती बल्कि आपकी मदद
चाहती है, ताकि किसी भी तरह से कानून व्यवस्था न बिगड़े।' इस मामले पर अब
राजनीति भी तेज हो गई है। बीजेपी ने एएमयू के इस फैसले का विरोध किया है,
वहीं समाजवादी पार्टी समेत कई दूसरे संगठन कार्यक्रम के विरोध में उतर आए
हैं।
इस बारे में गुरुवार को जमीरुद्दीन शाह ने बीजेपी और उसेक छात्र संगठन
एबीवीपी के नेताओं के साथ एक बैठक भी की, लेकिन हल नहीं निकला। बैठक के
बाद बाद एएमयू ने स्पष्ट किया कि वह इस कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं दे
सकता है। बैठक के दौरान एएमयू प्रशासन ने बीजेपी और एबीवीपी से कहीं और
आयोजन करने के लिए भी कहा, जिसे नहीं माना गया। शाह का तर्क है कि एएमयू के
ज्यादातर छात्र भी इस आयोजन के पक्ष में नहीं हैं।
कौन थे राजा महेंद्र प्रताप
जाट राजा राजा महेंद्र प्रताप 1915 में काबुल में भारत की पहली सरकार (प्रोविजनल गर्वनमेंट इन एग्जाइल) के पहले राष्ट्रपति चुने गए थे। वह सरकार कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं की मदद से बनी थी। उन्होंने एएमयू की स्थापना के लिए जमीन दान दी थी।
जाट राजा राजा महेंद्र प्रताप 1915 में काबुल में भारत की पहली सरकार (प्रोविजनल गर्वनमेंट इन एग्जाइल) के पहले राष्ट्रपति चुने गए थे। वह सरकार कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं की मदद से बनी थी। उन्होंने एएमयू की स्थापना के लिए जमीन दान दी थी।
क्या है मामला
आगामी 1 दिसंबर को बीजेपी राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जयंती यूनिवर्सिटी कैंपस में मनाना चाह रही है।
एएमयू ने बीजेपी के उस दावे को खारिज किया है, जिसमें कहा गया है कि राजा महेंद्र प्रताप ने एएमयू के जमीन दान की थी। एएमयू के प्रोफेसर मोहम्मद अबरार ने बताया, 'यूनिवर्सिटी के लिए राजा महेंद्र प्रताप द्वारा जमीन दान का कोई रिकार्ड मौजूद नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक स्कूल के लिए जमीन दी थी।' लेकिन बीजेपी एएमयू के इस तर्क को मानने के लिए तैयार नहीं है। वह अभी भी यूनिवर्सिटी कैंपस में राजा महेंद्र प्रताप की जन्मशती मनाने पर अड़ी हुई है। अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम कहते हैं 'अगर VC राजा प्रताप की जन्मशती मनाते हैं, तो हम स्वागत करेंगे, अन्यथा बीजेपी कैंपस में समारोह आयोजित करेगी। एएमयू को उस व्यक्ति का जन्मदिन मनाना चाहिए, जिसने उसे जमीन दी।
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