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11 नवंबर 2014

सिंघवी पर 56 करोड़ के जुर्माने पर बीजेपी बोली- कांग्रेस नेताओं के घर कालाधन

(फाइल फोटोः अभिषेक मनु सिंघवी )
 
नई दिल्ली. कांग्रेस नेता और मशहूर वकील अभिषेक मनु सिंघवी पर आयकर विभाग के सेटलमेंट कमीशन (आईटीएससी) ने पिछले तीन सालों की उनकी प्रोफेशनल इनकम 91.95 करोड़ रुपए कम दिखाने के लिए 56.67 करोड़ का जुर्माना लगाया है। हालांकि, कमीशन के इस फैसले पर फिलहाल उन्हें कोर्ट से स्टे मिल गया है।  बीजेपी ने इस मामले में कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ''जिन लोगों ने लोगों को कालेधन पर प्रवचन दिया, उन लोगों के घर में कालाधन का यह मामला टिप ऑफ द आईसबर्ग है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दिखाया है कि देश में किस तरह कालाधन पैदा किया जा रहा है। हमारा प्रश्न है कि वो अपनी करीब 100 करोड़ रुपए की कमाई छिपा कर क्यों बैठे थे?'' 
 
क्या है पूरा मामला
 
-इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, सिंघवी ने आयकर और कमीशन के सामने दावा किया था कि उन्होंने अपने कर्मचारियों के लिए तीन वर्षों में 5 करोड़ के लैपटॉप खरीदे थे, इसलिए वह 30% डिप्रीशिएशन के हकदार हैं। कमीशन ने अपनी जांच में पाया कि सिंघवी ने अपनी सहायता के लिए 14 वकीलों/प्रोफेशनल्स की टीम रखी है। वहीं, लैपटॉप पर 5 करोड़ खर्च करने के लिए उनके द्वारा 40 हजार की दर से 3 साल में 1250 लैपटॉप खरीदे जाने चाहिए थे। सिंघवी ने अपने पक्ष में जो दावे किए, उसके वह दस्तावेज जमा नहीं करा पाए। उन्होंने कमीशन को बताया कि दिसंबर 2012 में उनके सीए के ऑफिस में दीमकों ने 'हमला' कर दिया था और वे सारे दस्तावेज और वाउचर खा गए।
 
- कमीशन ने सिंघवी द्वारा अपनी कंपनी ऋषभ इंटरप्राइजेज के लिए सोलर पैनल लगाने पर 35.98 करोड़ रुपए खर्च किए जाने के दावे की भी जांच की और पाया कि पैनल के दाम बढ़ाकर बताया गया ताकि टैक्स से बचा जा सके।
 
-इतना ही नहीं, जिस कंपनी से सोलर पैनल लिए गए, उसने आयकर विभाग की जांच में माना कि उसे 21.39 करोड़ रुपए ही मिले थे, जबकि सिंघवी के रिकॉर्ड में यह 25.16 करोड़ बताया गया है। कंपनी ने कहा कि कीमत बढ़ाकर दिखाई गई थी और इसमें से 10 करोड़ रुपए सिंघवी के बेटों को लोन के रूप में लौटाना था। 
 
- कमीशन ने सिंघवी के असेसमेंट के शुरुआती स्तर पर किए गए इस दावे को भी चुनौती दी कि कानूनी प्रैक्टिस से उन्होंने जो आय अर्जित की वह 55% की रेंज में है। आदेश में कहा गया है कि सिंघवी के लेवल के सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकीलों ने आयकर विभाग को सूचित किया है कि उनकी नेट इनकम 90 से 95% की रेंज में रही।
 
मुझे न्याय नहीं मिलाः सिंघवी
 
अखबार से बातचीत में सिंघवी ने कहा, 'मैं वकील समुदाय में बीते 20 सालों में सबसे ज्यादा टैक्स जमा करने वाले लोगों में शामिल हूं। इस मामले में मुझे न्याय नहीं मिला। मैं तब खुद कमीशन गया था, जब दीमकों ने सभी दस्तावेज बर्बाद कर दिए थे। कमीशन ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मुझ जुर्माना लगाया है। इनकम टैक्स विभाग ने लैपटॉप पर हुए खर्च को औसत कीमत पर आंका है। मैंने बीते तीन सालों में अपने जूनियर्स को ज्यादा महंगे लैपटॉप दिए ही नहीं है। पूरा मामला सोलर प्रोजेक्ट से जुड़ा है और सिर्फ एक व्यक्ति के बयान पर चल रहा है। मुझे उससे सवाल तक नहीं करने दिए गए। 14.39 करोड़ के डिप्रीशिएशन की मांग सही है।' सिंघवी ने कहा कि 'आयकर विभाग की जांच शुरू होने से पहले ही रिकॉर्ड नष्ट होने के बारे में मैंने पुलिस को भी सूचना दी थी। सारी रकम चेक के द्वारा ली गई है और भुगतान भी इसी तरह किया गया है। यह अधिक खर्चे का केस है, लेकिन विभाग यह मानने को तैयार नहीं है।'

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