प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली: सरकारी फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) में कुछ
ऐसे मजदूर हैं, जिनकी मासिक आय छह अंकों में है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी
रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2014 में यहां काम करने वाले 370 मजदूरों को
4-4 लाख रुपए का वेतन दिया गया। इसमें भत्ते, इन्सेंटिव, एरियर और ओवरटाइम
भी शामिल है। अगस्त में ही 386 वर्कर्स को 2 से ढाई लाख रुपए सैलरी दी
गई।
अखबार ने कुछ दस्तावेजों के हवाले से दावा किया है कि एफसीआई में कथित
तौर पर कुछ 'मजदूर गैंग' हैं, जिन्होंने एक खास सिस्टम बना रखा है। इसके
तहत सरकारी खजाने से इन्हें इतने बड़े पैमाने पर सैलरी और भत्ता आदि मिलता
है। खबर के मुताबिक, हड़ताल की धमकियों के अलावा एफसीआई मैनेजमेंट और
वर्कर्स के बीच हुए कुछ कड़े समझौतों की वजह से वर्कर्स को मिलने वाले
भत्तों में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है। इसके अलावा, वर्कर्स की कमी ने भी इस
समस्या को और बढ़ाया है। हालांकि, कुछ डिपो में अतिरिक्त मजदूर भी हैं,
लेकिन बहुत सारी जगहें ऐसी हैं, जहां वर्क लोड बहुत ज्यादा है।
एफसीआई के सूत्र और एक्सपर्ट बताते हैं कि अच्छी सैलरी पाने वाले लोडर अपने नाम पर मजदूरों को रख लेते हैं, जिन्हें वे अपना काम करने के लिए 7 से 8 हजार रुपए देते हैं। कितनी बोरी लोड किए गए या उतारे गए, इस आधार पर भी वेतन मिलता है। सूत्रों के मुताबिक, लोडिंग व अनलोडिंग के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता है, ताकि ज्यादा सैलरी ली जा सके। यहां तक कि कभी कभी लोड किए जाने वाले बोरों की संख्या 500 से भी ज्यादा बताई जाती है।मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉरपारेशन में 25 हजार रुपए का वेतन पाने वाला गोदाम प्रभारी दिनेश चौरसिया पांच करोड़ की प्रॉपर्टी का मालिक निकला। लोकायुक्त टीम ने शुक्रवार को चौरसिया के सी सेक्टर, सर्वधर्म की सूर्या कॉलोनी स्थित मकान पर छापा मारा। छापे में खेती की जमीन, मकानों और कई फ्लैट के कागजात मिले हैं। चौरसिया की पत्नी के नाम से संचालित एक कंस्ट्रक्शन कंपनी ने कृष्णा अपार्टमेंट में 24 फ्लैट भी तैयार किए हैं। उसके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति हासिल करने का मामला दर्ज किया गया है
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