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06 अक्तूबर 2014

बात हंसी की है ,,,मज़ाक की है ,,दिल पर मत लेना यारों

बात हंसी की है ,,,मज़ाक की है ,,दिल पर मत लेना यारों ,,,मेरे कुछ दोस्तों ने आज ईद के दिन एक छोटा सा कार्यक्रम रखा ,,कार्यक्रम की खबर के मामले में विज्ञप्ति बनाने की बात हुई ,,समाचार में क्या लिखा जाए ,,इस पर चर्चा हो रही थी ,,के अचानक मेरे एक मित्र ने कहा के में कहूँ जो लिख डालो ,,उनका कहना था के लिख दो ,,ईद के इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में देश में सवा सो करोड़ से भी ज़्यादा बकरे क़ुर्बान करने पर चर्चा हुई ,,इससे देश में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा ,,निरंतर बढ़ रही बकरों की तादाद में कमी आएगी और सड़को चौराहो पर इनसे होने वाली दुर्घटनाये रुकेंगी ,,इन जनाब का कहना था के यह भी लिखो के देश में पर्यावरण संतुलन निरंतर फूल ,,पत्तियां ,,सब्ज़ियाँ ,वनस्पति नष्ट होने से बिगड़ रहा है और हरियाली ख़त्म होने से ऑक्सीजन की कमी हो रही है ,,लोगों को असाध्य बीमारियां हो रही है ,,अगर यह बकरे ज़िंदा रहते तो ना जाने कितनी और वनस्पति की यह हत्या करते हरियाली को मटियामेट करते और इससे पर्यावरण संतुलन और बिगड़ता ,,वैसे भी वनस्पति भक्षकों ने वनस्पति जीव की हत्याकर देेश का जीवन असंतुलन बिगाड़ दिया है ,,,,इसलिए आज के दिन पर्यावरण संरक्षण का दिन रहा ,,,यह सुनते ही मेरे मित्र जो खबर बनाने की बात कर रहे थे ,,,हँसे और यह कहते हुए उठकर चल दिए के अगर ऐसी विग्यप्ति गई तो कल मेरी खेर नहीं ,,, इतने में ही एक बढ़े दैनिक समाचार पत्र के संपादक मित्र पत्रकार का फोन ईद मुबारकबाद का आया उन्होंने भी ईद केसी मनी का सवाल क्या मेने दोस्तों के कार्यक्रम में चर्चा के दौरान का यह उपजा क़िस्सा उन्हें भी सुनाया ,,उन्होंने भी मुस्कुरा कर कहा के हाँ हर चीज़ के दो पहलु है ,,विचारणीय प्रश्न है ,,, भाइयों फिर कहता हूँ,,,दिल पे मत लेना यार ,,अख्तर खान अकेला

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