वोह पूंछते है
बढ़े तपाक से
क्या होगा अब
हम कहते है
मिलन होगा
इत्तेफ़ाक़ से
तो ज़िंदगी है
बिछुड़ना लिखा है
क़िस्मत में
तो बस फिर मोत है ,,अख्तर
बढ़े तपाक से
क्या होगा अब
हम कहते है
मिलन होगा
इत्तेफ़ाक़ से
तो ज़िंदगी है
बिछुड़ना लिखा है
क़िस्मत में
तो बस फिर मोत है ,,अख्तर
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