मुझ पर
उँगलियाँ उठाने वालों
ज़रा अपने
गिरेहबान में तो झांको
मुझे गुनाहगार बनाने के लिए
तुमने मुझे
कितना उकसाया है
फिर भी में पाकदामन रहा
इसीलिए तो तुम्हे
मुझ पर गुस्सा आया है
इसीलिए तुम्हे आज
मुझे आपस में
रुस्वा कर दिखाया है
अपना गिरेहबान तो देखो
कितने गुनाह
कितनी गंदगी
छुपी है तुम्हारे ख्यालों में ,,,,अख्तर
उँगलियाँ उठाने वालों
ज़रा अपने
गिरेहबान में तो झांको
मुझे गुनाहगार बनाने के लिए
तुमने मुझे
कितना उकसाया है
फिर भी में पाकदामन रहा
इसीलिए तो तुम्हे
मुझ पर गुस्सा आया है
इसीलिए तुम्हे आज
मुझे आपस में
रुस्वा कर दिखाया है
अपना गिरेहबान तो देखो
कितने गुनाह
कितनी गंदगी
छुपी है तुम्हारे ख्यालों में ,,,,अख्तर
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