आपका-अख्तर खान

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12 सितंबर 2014

यूँ ही चलते चलते

पिछले दिनों यूँ ही चलते चलते किसी ने कुछ लिख कर सर कहकर सम्बोधित किया ,,बात सहज थी ,,लेकिन पहचाना छुपी होने से में भी सवाल किया यह सर क्या होता है ,,मुझे जवाब मिला ,,इज़्ज़त ,,,सही जवाब था ,,,श्रीमान ,,इज़्ज़तमाब ,,,आदरणीय ,,सम्मानीय ,,लगभग सर के सम्बोधन के पर्यायवाची से ही है ,,इस हंसी मज़ाक में मेरे दिमाग में एक शोध का सवाल गूंजा ,,में सोचने लगा आखिर अंग्रेज़ो ने सर को इतना बढ़ा दर्जा ,,इतनी बढ़ी अहमियत क्यों दी है ,,,कई रिसर्च पेपर ,,,,किताबे ,,टीचर ,,प्रोफेसर और बेचारा हर सवाल का जवाब देने का दावा करने वाला गूगल में इस का जवाब नहीं दे सके ,,,में खुद सोचने लगा ,,हो सकता है सर जो शरीर के ऊपर का हिस्सा होता है ,,इसमें दिमाग होता है शायद इसलिए अदब से सर के मानिंद इज़्ज़त से किसी को सर कहा जाता हो ,,फिर सोचा के शरीर में तो आँख ,,हाथ ,,दिल ,,जिगर ,,पाँव ,,ज़ुबान ,दांत शरीर का हर आजा ज़रूरी और इज़्ज़त के लायक है फिर सर क्यों कहा जाए ,,अब में इन सर कहने वाले भोले भाले मासूम से दोस्त से कहता हूँ के सर नहीं जिगर कहा जाए क्योंकि जिगर ही भूख लगाता है ,,जिगर ही भूख बढ़ाता है ,,,खाना हज़म करवाता है ,,,खून बनाता है वरना बदन पीला पढ़ जाता है ,,इसलिए अब सर नहीं जिगर कहा जाए ,,,,,,,,,,,,,

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