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01 सितंबर 2014

पहचान रहने दे

Ajay Pandey

मेरी गंगो जमन तहज़ीब की पहचान रहने दे
ये नफरत से भरी बातें ,अरे नादान रहने दे
तुझे बनना है हिन्दू या तुझे होना है मुस्लिम तो
मुआफ़ी दे मुझे , मुझको अभी इंसान रहने दे
सुखन में इसके खुशबू है मेरे भारत की मिट्टी की
मेरे हाथों में तू ग़ालिब का ये दीवान रहने दे
बता दे किस तरह गुज़रे बिना साहिर के गीतों के ?
मेरे कानों में तू मेरे रफ़ी की तान रहने दे
न कोई बच्चा बाबर का न कोई है हुमायूँ का
इन्हे तू हिन्द की मिट्टी की ही संतान रहने दे

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