आपका-अख्तर खान

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01 सितंबर 2014

शून्य हैं .."आप"


मर चुकी मानवीय संवेदनाओं को अपने "आप" में जीवित किये बिना...
शून्य हैं .."आप"
सिर्फ और सिर्फ नारे लगा लेने से..
लाउडस्पीकर से देश प्रेम के और भावुकता भरे..गाने बजा लेने से..क्या 'अंदरूनी' परिवर्तन आएगा..
पहले..."बदलें अपने आप को..
फिर ..."बदलें हिंदुस्तान को..

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