नई दिल्ली: 5 सितंबर को टीचर्स डे के मौके पर पीएम नरेंद्र
माेदी के भाषण के दौरान सभी स्कूलों में बच्चों की मौजूदगी सुनिश्चित
कराने से जुड़े सरकारी आदेश पर विवाद बढ़ता जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर
से देश के सभी स्कूलों को जारी आदेश में कहा गया है कि 5 सितंबर को बच्चे
दोपहर 3 बजे से पीएम का भाषण सुन सकें, इसकी व्यवस्था की जाए। गैर बीजेपी
राज्यों में इस आदेश का विरोध शुरू हो गया है। वहीं, पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार
ने इसका पालन करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, मानव संसाधन मंत्री
स्मृति र्इरानी ने सोमवार को साफ किया कि पीएम का भाषण सुनना ऐच्छिक है।
ईरानी ने कहा, ''यह बच्चों की मर्जी पर निर्भर करता है कि वह भाषण सुनना
चाहते हैं कि नहीं। मुझे लगता है कि किसी तरह का मिसकम्यूनिकेशन हुआ है।
''
क्या है मामला
सभी स्कूलों को सर्कुलर जारी करके कहा गया है कि 5 सितंबर को दोपहर
ढाई बजे से 5 बजे के बीच होने वाले इस इवेंट के लिए जरूरी तैयारियां की
जाएं। मोदी बच्चों को न केवल संबोधित करेंगे, बल्कि एक सवाल-जवाब का
सेशन भी होगा। इस बातचीत का प्रसारण दूरदर्शन पर किया जाएगा। इसके अलावा,
मानव संसाधन मंत्रालय की वेबसाइट पर भी इसकी लाइव स्ट्रीमिंग की
जाएगी। मोदी दिल्ली के स्कूली बच्चों के साथ आमने-सामने बातचीत करेंगे,
जबकि लेह, लद्दाख, पोर्ट ब्लेयर, सिलचर और इंफाल जैसे सुदूर के इलाकों तक
सैटेलाइट लिंक के जरिए जुड़ेंगे। सभी स्कूलों को सोमवार शाम 5 बजे तक यह
रिपोर्ट दाखिल करनी थी कि कितने बच्चे कार्यक्रम में शामिल होंगे और
अधिकारियों ने इसके लिए क्या तैयारियां की हैं। कुछ स्कूलों ने तो
अभिभावकों को संदेश भेजकर कहा है कि वे अपने बच्चों की कार्यक्रम में
मौजूदगी सुनिश्चित करें। वहीं, दिल्ली सरकार की ओर से जारी एक आदेश में
कहा गया है कि तैयारियों में किसी तरह की ढील होने पर सख्ती बरती जाएगी।
क्या है विरोध
अधिकतर स्कूलों के प्रिंसिपल कार्यक्रम की टाइमिंग को लेकर सवाल उठा
रहे हैं। उनका कहना है कि अधिकतर स्कूल दोपहर तक बंद हो जाते हैं, ऐसे
में दोपहर 3 बजे से कार्यक्रम आयोजित करने का क्या औचित्य है? वहीं, कुछ
टीचर्स का कहना है कि उन्हें इस कार्यक्रम की वजह से शाम 5 बजे तक स्कूल
में रूकना होगा। टीचरों के लिए मनाए जाने वाले इस खास दिन पर क्या यह
ज्यादती नहीं है? वहीं, विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार पर इस पूरी
प्रक्रिया के जरिए राजनीति करने का आरोप लगा रही हैं। उनका कहना है कि
क्या बच्चों को बुलाकर भाषण सुनाना जरूरी है?
क्या कह रही हैं पार्टियां
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, 'सरकार अध्यापकों,
स्टूडेंट्स और अभिभावकों सभी के लिए परेशानी पैदा कर रही है। पीएम को अपने
भाषण का शेड्यूल बदलना चाहिए।'
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, 'हमें केंद्र
सरकार के निर्देश मिले हैं, लेकिन हम इसका पालन नहीं करेगे। हम अपनी योजना
के मुताबिक ही कार्यक्रम आयोजित करेंगे।'
शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, 'अगर केंद्र सरकार ने टीचर्स
डे के संदर्भ में कुछ फैसला लिया है तो यह सबके लिए है। पीएम के पास ऐसे
फैसले लेने का पूरा अधिकार है।'
बीजेपी की सहयोगी पीएमके के नेता रामादौस ने कहा, 'हम पीएम के बच्चों
से बातचीत करने के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन हम इसे गुरु उत्सव
नाम दिए जाने का विरोध करते हैं। यह संस्कृत थोपने की कोशिश है, जो कबूल
नहीं है। '
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