हिंदुस्तान
का कोई भी वकील ,,न्यायधीश ,,पूर्व न्यायधीश ,,नेता या कोई भी हो प्लीज़
बताये ,,,किसी जज के खिलाफ शिकायत होने के बाद क्या राजयभर के जज एक साथ
मीटिंग कर योजनाबद्ध तरीके से दबाव बनाने के लिए वकीलों के खिलाफ टिप्पणी
कर सकते है ,,,क्या यह जजों की नौकरी का हिस्सा है ,,क्या भारत का क़ानून
उन्हें ऐसी हरकत करने की इजाज़त देता है ,,,ऐसे जजों की पैरवी अगर एक
पक्षीय रूप से न्यायिक प्रशासन द्वारा पक्षकार बन कर की जाए क्या देश में
ऐसा कोई क़ानून है ,,,,क़ानून तो है के शिकायत करता को भी सुनो ,,निष्पक्ष
सुनवाई करो पक्षकार बनकर बायस्ड होकर एकतरफा सोच रख कर क्या देश ,,क्या
न्यायिक व्यवस्था चल सकती है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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