गर्व
से कहो हम असामाजिक हैं । ...अगर समाज में प्रेम छिप कर और हिंसा खुले आम
हो ...अगर समाज में दहेज़ के नाम पर पुरुष देह व्यापार हो रहा हो ...अगर
समाज में प्रेम पर पाबंदी हो और चकला घर खुलेआम चल रहे हों ...अगर समाज में
स्त्री -पुरुष के बीच परस्पर आकर्षण के अवसर नहीं घृणा के अवसर बढाए जा
रहे हों ...अगर समाज में स्त्री असुरक्षित हो तो चुप क्यों हो ? ...गर्व से
कहो हम असामाजिक हैं ।"---- राजीव चतुर्वेदी
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