नई दिल्ली. कमला बेनीवाल को मिजोरम के राज्यपाल के पद से
बर्खास्त किए जाने के बाद राजनीतिक बवंडर खड़ा हो गया है। बीजेपी के
नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जहां इस कदम को उचित ठहराया है, वहीं
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि यह बदले की राजनीति के तहत उठाया गया कदम
है।
बेनीवाल पर गंभीर आरोप: केंद्र
केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने गुरुवार को कहा कि कमला बेनीवाल को पद से हटाए जाने के पीछे कोई राजनीति नहीं है और उनके खिलाफ गंभीर आरोप पर सरकार ने संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की है। नायडू ने कहा कि बेनीवाल के खिलाफ कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन नहीं है।
केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने गुरुवार को कहा कि कमला बेनीवाल को पद से हटाए जाने के पीछे कोई राजनीति नहीं है और उनके खिलाफ गंभीर आरोप पर सरकार ने संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की है। नायडू ने कहा कि बेनीवाल के खिलाफ कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन नहीं है।
क्या हैं बेनीवाल पर आरोप?
सरकार का कहना है कि बेनीवाल को हटाने का फैसला उस रिपोर्ट को देखने
के बाद किया गया जो उन राज्यों से आई थी, जहां पर वह पहले राज्यपाल रह
चुकी हैं। सरकार के मुताबिक, रिपोर्ट में लिखा है कि बेनीवाल के ऊपर गुजरात
में राज्यपाल रहते हुए हवाई यात्रा की सुविधा का गलत ढंग से इस्तेमाल करने
के आरोप है। रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात में तीन साल के कार्यकाल में
बेनीवाल ने सरकारी हेलिकॉप्टर का 63 बार इस्तेमाल किया। इसमें से 53 बार
उन्होंने अपने जयपुर स्थित घर जाने के लिए किया। इसके अलावा, वह 500 दिन
राज्य से बाहर रहीं। यह भी आरोप है कि मिजोरम की राज्यपाल बनने के बाद वह
मिजोरम में नहीं रहती हैं।
बीजेपी ने दी सफाई
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जो भी कदम उठाया गया, वह
संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप है। प्रसाद के मुताबिक, कमला बेनीवाल को
राज्यपाल पद से हटाने का निर्णय संवैधानिक सिद्धांतों और परंपराओं के
अनुरूप है जिसे भारत के राष्ट्रपति ने स्वीकृति दी है। रविशंकर प्रसाद ने
कहा कि अगर सरकार को इस पर कुछ और कहना होगा, तो वह संसद में कहेगी। उधर,
सरकार के समर्थक दल भी साथ नजर आए। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि कमला
बेनीवाल गवर्नर कम और पॉलिटिशियन ज़्यादा थीं। अब सरकार बदल गई है और अगर नई
सरकार गवर्नरों को बदलती है तो इसमें बुरा क्या है।
विपक्ष की दलील
कांग्रेस के महासचिव अजय माकन ने ट्वीट करके कहा कि अगर राज्यपाल कमला
बेनीवाल को हटाया जाना था, तो उनका कुछ दिन पहले मिजोरम तबादला क्यों किया
गया। बता दें कि कमला बेनीवाल को पिछले महीने ही गुजरात से हटाकर मिजोरम
का राज्यपाल बनाया गया था। वहीं, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि
राज्यपाल को हटाना गंभीर मामला है और यह संविधान की तौहीन है। एनसीपी
अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि यह साफ तौर पर राजनीतिक बदला है। सरकार की कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण है।
बेनीवाल के मोदी से थे तल्ख रिश्ते
कमला बेनीवाल जब गुजरात की राज्यपाल थीं, उस वक्त लोकायुक्त की
नियुक्ति को लेकर उनके और मोदी के बीच काफी तनातनी हुई थी और इससे जुड़ी
खबरें मीडिया की सुर्खियां बनी थीं। गुजरात के राज्यपाल के रूप में बेनीवाल
ने रिटायर्ड जज आर. ए. मेहता को गुजरात का लोकायुक्त नियुक्त किया, जिसके
खिलाफ राज्य ने पहले हाई कोर्ट में और बाद में सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
अदालत ने बेनीवाल के फैसले को बरकरार रखा। हालांकि, मेहता ने पद स्वीकार
नहीं किया था। इसके अलावा, बेनीवाल ने राज्य विधानसभा में पारित विभिन्न
विधेयकों को भी रोक दिया था। उनमें से एक स्थानीय निकायों में महिलाओं को
50 प्रतिशत आरक्षण देने के संबंध में था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)