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01 अगस्त 2014

3 माह का रुद्र, एक दिन बाद जमीन के भीतर रोया...और बच गईं 4 जिंदगियां



पुणे. मालिण गांव पर पहाड़ टूटा है। 70 शव निकाले जा चुके हैं। हर घर में किसी न किसी की जान गई है। पर रुद्र के घर में सब सलामत हैं। मां भी और दादा-दादी भी। महज तीन माह के रुद्र ने सबको बचा लिया। वो भी सिर्फ रोकर। बुधवार तड़के तीन बजे जब मालिण गांव पर पहाड़ टूटा तो रुद्र की मां उसे दूध पिला रही थी। घर में दादा-दादी बगल के कमरे में सो रहे थे। जब तक कोई कुछ समझ पाता पानी, मिट्टी और पत्थरों से भरा मलबा घर के टीन के छप्पर पर आ गिरा और टीन की छत टूटकर इन पर आ गिरी। इसी टीन की छत ने मलबे को इन तक पहुंचने से रोक लिया। पूरा घर मिट्टी में दब गया था, लेकिन इनकी सांसें चलती रहीं।
 
मलबे में दबे होने की वजह से इनका खुद बाहर निकल पाना नामुमकिन था। जैसे-जैसे वक्त बीत रहा था, आसपास हवा कम हो रही थी। 6-7 घंटे तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद पूरा परिवार बेहोशी की हालत में पहुंच गया। इस बीच बचाव दल मौके पर पहुंच चुके थे। मलबा हटाया जा रहा था, शव निकाले जा रहे थे। एक दिन बीत चुका था।
 
गुरुवार दोपहर बाद गीली मिट्टी के नीचे से रोने की बेहद हल्की आवाज आई। एनडीआरएफ की टीम फौरन हरकत में आई। दो-ढाई घंटे लगे और अंतत:  बचाव दल बच्चे तक पहुंच गया। वहीं उसकी मां भी मिली और पास ही में दादा-दादी भी। तीनों बेहोश थे। फौरन सबको हॉस्पिटल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि थोड़ी और देर होती तो किसी को बचाना संभव न था। अब सब सलामत हैं। रुद्र भी खिलखिला रहा है। उसके पिता जो पुणे में काम करते हैं वे भी आ गए हैं।

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