(ससुरालवालों से प्रताड़ित हुई पूनम पूरी घटना बताते हुए)
इंदौर. मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में ससुरालवालों ने बहू के
चरित्र पर सवाल उठाया। फिर अग्नि परीक्षा से गुजरने का फरमान सुना दिया।
युवती ने इनकार किया तो समाज की पंचायत ने उसके परिवार का हुक्का-पानी बंद
कर दिया। न्याय के लिए वह कोर्ट पहुंची। यहां कहानी सामने आई कि युवती के
साथ यह सब दहेज के लिए किया गया। कोर्ट ने युवती के पति, सास समेत
ससुरालपक्ष के चार लोगों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कर लिया।
यह कहानी है इंदौर के कंजर मोहल्ला बियाबानी निवासी 25 वर्षीय पूनम
की। पूनम ने पूरे घटनाक्रम को लेकर कोर्ट में परिवाद पेश किया था। न्यायिक
मजिस्ट्रेट रेखा आर. चंद्रवंशी ने युवती के परिवाद पर मंगलवार को आदेश
दिया।
वकील संतोष खोवारे के मुताबिक परिवाद की सुनवाई में पूरे घटनाक्रम के
मूल में दहेज का मामला सामने आया। कोर्ट ने युवती के पति कुणाल, सास
ताराबाई, मौसी सास लीलाबाई व उसके पुत्र संदीप के खिलाफ धारा 498-ए के तहत
केस पंजीबद्ध करते हुए अगली सुनवाई 3 सितंबर तय की।
मेंटेनेंस का भी केस फैमिली कोर्ट में
युवती फिलहाल पति से अलग माता-पिता के पास रहती है। उसने कुछ माह पहले
फैमिली कोर्ट में भरण-पोषण के लिए केस दायर किया है। युवती का कहना है पति
उससे मिलता रहता है और साथ में रहने की बात करता है किंतु उसके ससुराल
वाले, खासतौर पर सास व मौसी सास इसके लिए सहमत नहीं है।ससुराल वालों पर केस दर्ज होने के बाद खुश पूनम और उसकी मां)
युवती और उसके परिवार का हुक्का पानी भी बंद कर दिया था
> पूनम का विवाह 13 सितंबर 2007 को मुंबई निवासी कुणाल से हुआ था। कुणाल मुंबई ब्यूटीशियन का काम करता था।
> शादी के कुछ समय बाद से ही ससुराल वाले दहेज में दो लाख रुपए की मांग करते हुए मारपीट करते थे। इसकी रिपोर्ट उसने वर्ष 2008 में मुंबई पुलिस में की थी। वहां पुलिस ने दोनों को समझाया और मामला शांत हो गया था।
> शादी के कुछ समय बाद से ही ससुराल वाले दहेज में दो लाख रुपए की मांग करते हुए मारपीट करते थे। इसकी रिपोर्ट उसने वर्ष 2008 में मुंबई पुलिस में की थी। वहां पुलिस ने दोनों को समझाया और मामला शांत हो गया था।
>वर्ष 2011 में उसके ससुराल वाले इंदौर रहने आ गए। यहां भी
दहेज के लिए परेशान करने लगे। पूनम की शिकायत पर थाना छत्रीपुरा ने दहेज
प्रताड़ना का केस दर्ज किया था।
> दहेज का केस अदालत पहुंचा तो मौसी सास लीलाबाई ने समझौता करवा दिया। केस खत्म हो गया।
> फिर दहेज की मांग शुरू हुई और सास व मौसी सास ने उसके
चरित्र पर शंका शुरू कर दी। सास व मौसी सास व मौसी सास के पुत्र ने उसे कहा
कि अगर वह चरित्रवान है तो उसे अग्निपरीक्षा में गुजरना होगा।
> कंजर समाज में प्रभाव व दखल रखने वाली मौसी सास लीलाबाई ने 23 फरवरी 2014 को समाज की बैठक कंजर मोहल्ले में बुलाई। उसमें पूनम ने जाने से इंकार कर दिया। उसके माता-पिता पहुंचे और कहा कि उनकी बेटी अग्नि परीक्षा नहीं देगी, क्योंकि चरित्र साबित करने के लिए ऐसा करना जरूरी नहीं है। इस पर लीलाबाई ने अपने प्रभाव से उसी दिन से पूनम व उसके मायके वालों का हुक्का-पानी बंद करवा दिया।
> कंजर समाज में प्रभाव व दखल रखने वाली मौसी सास लीलाबाई ने 23 फरवरी 2014 को समाज की बैठक कंजर मोहल्ले में बुलाई। उसमें पूनम ने जाने से इंकार कर दिया। उसके माता-पिता पहुंचे और कहा कि उनकी बेटी अग्नि परीक्षा नहीं देगी, क्योंकि चरित्र साबित करने के लिए ऐसा करना जरूरी नहीं है। इस पर लीलाबाई ने अपने प्रभाव से उसी दिन से पूनम व उसके मायके वालों का हुक्का-पानी बंद करवा दिया।
> इसकी शिकायत युवती के परिजनों ने वरिष्ठ पुलिस अफसरों और
थाना छत्रीपुरा से की किंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस कारण अदालत का सहारा
लेना पड़ा। (जैसा पूनम ने कोर्ट में पेश परिवाद में बताया)
इंदौर में पहले भी हो चुकी अग्नि परीक्षा
अधिवक्ता खोवारे के मुताबिक परिवादी कंजर समाज से है। परिवादी की मां
ने जानकारी दी है कि समझौते के लिए पहले पैसे देना पड़ते हैं तब पंच बैठक
करते हैं। अग्नि परीक्षा के लिए हथेली पर तेल लगे पत्ते व उसके ऊपर गरम
सलाखें रखी जाती हैं। हथेली जली तो गलत और नहीं जलने पर सही माने जाने की
पुरानी परंपरा है।
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