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26 जुलाई 2014

कारगिल विजय दिवस: भारत सरकार नहीं खोल रही पाकिस्‍तानी सैनिकों की डायरी का राज



(फाइल फोटोः 'फ्रॉम सरप्राइज टू रेकनिंग' का कवर पेज)

नई दिल्ली. 1962 में चीन से युद्ध में मिली हार की हेंडरसन ब्रुक्स रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने के कारण समझ में आते हैं, लेकिन कारगिल में जीत के 15 साल बाद भी इसका वास्तविक सच अभी तक सामने नहीं आया है। दरअसल, कारगिल रिव्यू कमेटी (KRC) की रिपोर्ट के ज्यादातर अंश अभी भी सरकार ने सार्वजनिक नहीं किए हैं। यह रिपोर्ट एक किताब की शक्ल में प्रकाशित हो चुकी है, जिसके 22 भाग हैं और प्रत्येक भाग में 100 से ज्यादा पन्ने हैं। 7 जनवरी, 2000 में इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सौंपा भी गया। रिपोर्ट में तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की बातचीत और पाकिस्तानी सैनिकों की डायरियों के उल्लेख भी मौजूद हैं। 

इस रिव्यू कमिटी के एक सदस्य बीजी वर्गिस कहते हैं, ''कमिटी ने कारगिल युद्ध के तीन महीने से थोड़े ज्यादा समय में ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। यह रिपोर्ट कमिटी में शामिल कुछ बेहतरीन सैन्य सुरक्षा विशेषज्ञों ने तैयार की थी। उन्होंने हर तथ्य की पड़ताल की और उन्हें रिपोर्ट में शामिल किया। 22 भागों में यह रिपोर्ट प्रकाशित भी हुई। इसमें कारगिल से जुड़ी वे तमाम सूचनाएं और राज थे, जो लोगों को बताए जाने चाहिए थे।'' वर्गीस के अलावा कमिटी में लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) के के हजारी, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सतीश चंद्रा और दिवंगत के. सुब्रहमण्यम शामिल थे। 
किताब की शक्ल में छपी इस रिपोर्ट का शीर्षक है 'फ्रॉम सरप्राइज टू रेकनिंग'। इसमें जनरल परवेज मुशर्रफ (पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख) और उनके चीफ ऑफ स्टाफ ले. जनरल मोहम्मद अजीज खान के बीच हुई बातचीत का ब्योरा भी है। इस रिपोर्ट में पाकिस्तानी सैनिकों की उन डायरियों का भी उल्लेख है, जो इस बात का सबूत है कि कारगिल युद्ध की योजना पाकिस्तानी सेना द्वारा काफी सोच-समझ कर साजिशाना तौर पर बनाई गई थी। इसके अलावा, रिपोर्ट में न्यूजपेपर्स कटिंग, पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकियों और सैनिकों से हुई पूछताछ में हुए खुलासे भी शामिल हैं। ये सभी सीक्रेट डाक्युमेंट्स हैं।आडवाणी। इस मौके पर जसवंत सिंह (दाएं) और जार्ज फर्नांडिस भी मौजूद थे।)
 
आगरा वार्ता की बातें भी रहस्य-
वर्गिस बताते हैं, ''2011 में जब मुशर्रफ आगरा समिट में हिस्सा लेने आए थे, तब उनकी भारतीय पीएम से क्या बातचीत हुई, यह भी अब तक कोई नहीं जान पाया, लेकिन हमने उसे भी इस रिपोर्ट में शामिल किया था।'' वर्गीस के मुताबिक, ''ये बेहद अहम दस्तावेज है, जिसके पन्ने अक्सर पाकिस्तान से वार्ता के दौरान पलटे जाते हैं, लेकिन आज तक केंद्र में सत्ता संभालने वाले राजनीतिक दल ने इसे देश की जनता के सामने नहीं रखा।'' वे सवाल उठाते हैं, "आखिर क्यों मुशर्रफ का टेप, न्यूजपेपर की क्लिपिंग्स सार्वजनिक नहीं की जा रही हैं? सेना के कॉलेजों में पढ़ने वाले अफसर क्या पढ़ेंगे?"
 
विजय दिवस के दो दिन पहले हुआ था गठन-
कारगिल रिव्यू कमिटी का गठन तत्कालीन केंद्र सरकार ने 24 जुलाई, 1999 को किया था। यानी विजय दिवस के ठीक दो दिन पहले। अगले 6 महीने में कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी, जिसमें कई अहम मुद्दे शामिल किए गए थे। इसमें सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील स्थानों का प्रबंधन, खुफिया तंत्र, न्यूक्लियर पॉलिसी, काउंटर टेररिज्म और सुरक्षा तंत्र के पुनर्गठन के सुझाव शामिल थे।

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