छोडो मेहँदी खड्ग संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
चौपड़ बिछाये बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो,
अब गोविंद ना आयेंगे|
कब तक आस लगाओगी
तुम,बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो
दुशासन दरबारों से|
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो
अब गोविंद ना आएंगे|
अब गोविंद ना आएंगे
अब गोविंद ना आएंगे ।
खुद ही अपना चीर बचा लो
चौपड़ बिछाये बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो,
अब गोविंद ना आयेंगे|
कब तक आस लगाओगी
तुम,बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो
दुशासन दरबारों से|
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो
अब गोविंद ना आएंगे|
अब गोविंद ना आएंगे
अब गोविंद ना आएंगे ।
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