मुंबई. मशहूर अभिनेत्री जोहरा सहगल का 102 साल की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया। सूत्रों के मुताबिक सहगल का अंतिम संस्कार शुक्रवार को 11 बजे लोदी रोड स्थित शवदाह केंद्र पर किया जाएगा। भारतीय सिनेमा की सबसे बुजुर्ग अभिनेत्री जोहरा सहगल दक्षिणी दिल्ली के मंदाकिनी इंक्लेव में अपनी बेटी किरण सहगल के साथ रह रहीं थीं। उन्होंने मैक्स अस्पताल में शाम करीब 4:30 बजे अंतिम सांस ली। उनकी बेटी किरण ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वह पिछले तीन-चार दिनों से अस्वस्थ चल रही थीं। जोहरा ने बतौर नृत्यांगना वर्ष 1935 में अपने करियर की शुरुआत की थी।
सात दशक तक हिंदी सिनेमा को अपना योगदान देने वाली जोहरा के निधन की खबर फैलने पर फिल्म जगत ने ट्विटर पर शोक व्यक्त किया। अभिनेता अमिताभ बच्चन
ने लिखा कि जोहरा सहगल का 102 वर्ष की उम्र में निधन हो गया़, वह कितनी
प्यारी सहअभिनेत्री थीं। मैं उनकी आत्मा की शांति की कामना करता हूं।
बॉलीवुड के कई अन्य सितारों ने भी ट्विटर के जरिये जोहरा सहगल को अपनी
श्रद्धांजलि दी है।
इतिहासकार इरफान हबीब ने ट्वीट कर दी मौत की खबर
रात के समय मशहूर इतिहासकार इरफान हबीब ने ट्वीट कर जोहरा के निधन की
जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि इसकी अभी-अभी पुष्टि हुई है कि जोहरा आपा
अब नहीं रहीं। एक अन्य टवीट में उन्होंने कहा कि जोहरा सहगल के निधन के
बारे में जानकर बहुत दुख हुआ। वह अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने वाली महिला
थीं। उनकी मौत कला एवं संस्कृति के क्षेत्र को बड़ा नुकसान है।
सहारनपुर से बॉलीवुड तक का सफर
जोहरा सहगल का जन्म 27 अप्रैल 1912 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर शहर
के रोहिल्ला पठान परिवार में हुआ। वे मुमताजुल्ला खान और नातीक बेगम की सात
में से तीसरी संतान हैं। जोहरा का बचपन उत्तराखंड के चकराता में
बीता। जोहरा ने पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थियेटर में 14 साल तक नाटकों में
अभिनय किया और इसके बाद फिल्मों में आ गई। फिल्मों में आने के बाद भी जोहरा
ने रंगमंच का दामन नहीं छोड़ा। उन्होंने 'दिल दे चुके सनम', 'चीनी कम',
'कभी खुशी कभी गम' और 'हम दिल दे चुके सनम' जैसी फिल्मों में यादगार अभिनय
किया।
पृथ्वीराज कपूर से लेकर रणवीर कपूर तक के साथ किया काम
एक्टिंग को अपना पहला प्यार मानने वालीं जोहरा ने थियेटर से पेशे की कई बारिकियां सीखी। उन्होंने पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थियेटर में करीब 14 साल तक काम किया। इतना ही नहीं उन्होंने राजकपूर के अलावा वर्ष 2007 में आई अपनी आखिरी फिल्म 'सांवरिया' में रणवीर कपूर के साथ भी काम किया।
एक्टिंग को अपना पहला प्यार मानने वालीं जोहरा ने थियेटर से पेशे की कई बारिकियां सीखी। उन्होंने पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थियेटर में करीब 14 साल तक काम किया। इतना ही नहीं उन्होंने राजकपूर के अलावा वर्ष 2007 में आई अपनी आखिरी फिल्म 'सांवरिया' में रणवीर कपूर के साथ भी काम किया।
डांसर और डांस निर्देशक के रूप में की करियर की शुरुआत
जोहरा ने अपने करियर की शुरुआत एक डांसर और डांस निर्देशक के रूप में
की थी। जोहरा को थियेटर से बेहपनाह मोहब्बत थी और थियेटर को वह अपना पहला
प्यार भी मानती थीं। जोहरा ने 1935 में उदय कुमार के साथ बतौर नृत्यांगना
करियर की शुरुआत की। वह चरित्र कलाकार के तौर पर कई हिंदी फिल्मों में नजर
आईं। उन्होंने अंग्रेजी भाषा की फिल्मों, टेलीविजन और रंगमंच के जरिए भी
अपने अभिनय की छाप छोड़ी। उन्हें 2010 में पदम विभूषण सम्मान से नवाजा गया
था। भारतीय सिनेमा जगत में लाडली के नाम से चर्चित जोहरा कई फिल्मों का
हिस्सा रहीं। वह इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) की सदस्य थीं और
वर्ष 1946 में अपनी पहली फिल्म प्रोडक्शन 'धरती के लाल' के जरिये रुपहले
पर्दे पर पदार्पण किया। उन्होंने चेतन आनंद की फिल्म 'नीचा नगर' में भी काम
किया।
बेटी ने लिखी 'जोहरा सहगल: फैटी' नाम से जीवनी
वर्ष 2012 में बेटी किरन ने 'जोहरा सहगल: फैटी' नाम से जोहरा की जीवनी लिखी। ओडिशी नृत्यांगना किरन ने दुख जताते हुए कहा कि अपने अंतिम दिनों में उनकी मां को सरकारी फ्लैट तक नहीं मिला, जिसकी उन्होंने मांग की थी। उन्होंने कहा कि वह जिंदादिली और ऊर्जा से हमेशा लबालब रहती थीं।
वर्ष 2012 में बेटी किरन ने 'जोहरा सहगल: फैटी' नाम से जोहरा की जीवनी लिखी। ओडिशी नृत्यांगना किरन ने दुख जताते हुए कहा कि अपने अंतिम दिनों में उनकी मां को सरकारी फ्लैट तक नहीं मिला, जिसकी उन्होंने मांग की थी। उन्होंने कहा कि वह जिंदादिली और ऊर्जा से हमेशा लबालब रहती थीं।
पुरस्कार: 1963 संगीत नाटक अकादमी, 1998: पद्मश्री, 2001:
कालिदास सम्मान, 2002: पद्म भूषण, 2004: संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप, 2010:
पद्म विभूषण
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