मेने अभी फिर से
मेने मेरे प्यार
,मेरे इन्तिज़ार की
उपेक्षा देखी है ,,
मेने अपने जज़्बात का
अभी हाल ही में
उपहास देखा है ,,
लेकिन
में क्या कर सकता हूँ
ओखली में सर तो
मेने खुद ही दिया है
फिर मूसल से डर कर
में रोता क्यों हूँ ,,,,
मेने मेरे प्यार
,मेरे इन्तिज़ार की
उपेक्षा देखी है ,,
मेने अपने जज़्बात का
अभी हाल ही में
उपहास देखा है ,,
लेकिन
में क्या कर सकता हूँ
ओखली में सर तो
मेने खुद ही दिया है
फिर मूसल से डर कर
में रोता क्यों हूँ ,,,,
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