आपका-अख्तर खान

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06 जून 2014

दोस्तों मुझे लोग प्यार से अक्कू कहते है

दोस्तों मुझे लोग प्यार से अक्कू कहते है ,,,,माँ बाप ने मेरा नाम अख्तर खान रखा ,,साहित्य ,,लेखन ,,फलसफा ,,पत्रकारिता के अनुभव ने मुझे मेरा नाम अख्तर खान अकेला कर देने के लिए प्रेरित किया ,,मेरी बिटिया मुझे पापु ,,,बेटा पापा ,, प्यार करने वाले अक्कू ,,हंटर वाली जेलर ,,एजी ,,ओ जी ,,,,शाहरुख के पापा कहती है ,,,,लोग नफरत से भी कुछ कहने की कोशिश करते होंगे ,,वोह कह सकते है ,,,,जो लोग मुझे भाजपा के खिलाफ लिखता देखते है वोह मुझे कोंग्रेसी कहते है ,,,जो लोग मुझे कांग्रेस के खिलाफ लिखता देखते है वोह लोग मुझे भाजपाई कहते है ,,जो लोग दोनों के खिलाफ लिखता देखते है वोह लोग मुझे आपिया कहते है ,,,,जो लोग मुझे दलित ,,शोषित ,,सियासी तोर पर उपेक्षित समाज के लिए लिखता देखते है वोह लोग मुझे मुस्लिम परस्त कहते है ,,जो लोग मुझे मुस्लिम की कुरीतियों मोलवी ,,मुल्लाओं के खिलाफ लिखता देखते है वोह लोग मुझे काफ़िर हिनद परस्त कहते है ,,,,,,,,,,,जो लोग मुझे उर्दू अलफ़ाज़ इस्तेमाल करते देक्खते है वोह उर्दू परस्त कहते है तो कोई हिंदी परस्त कहता है ,,,,,,कोई जमाती ,,कोई वहाबी ,,कोई न जाने क्या क्या सो कॉलड नाम रख कर जो चाहता है वोह कहता है ,,लेकिन दोस्तों मेरी कोशिश है के मेरा मज़हब ,,मेरी तहज़ीब ,, वुजूद ,,मेरे अखलाक़ मेरा हिन्दुस्तान ,,, ज़िंदा रहे ,,उसके अखलाक़ विश्व में नंबर वन रहे ,,,अब कोई कुछ भी कहे कोई कुछ भी समझे मुझे क्या ,,मुझे तो आपका साथ है ,,आपका प्यार है ,,आपका दुलार है ,,आपकी डांट ,,आपकी फटकार है ,,मुझे किसी की क्या परवाह क्यों जनाब सही है ना ,,,,,,,,,अख्तर

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