रंजिशें यहाँ मर्दों की औरतों से भुनाई जाती हैं,
कुचल कर तितलियाँ झाड़ों से लटकाई जाती हैं |
साड़ियाँ सलवारें बिंदियाँ और चूड़ियाँ मसल कर
मासूम शक्लें परियों की तेजाब से भिगोई जाती हैं |
घर, मोहल्ला, शहर या हो मैदान किसी जंग का
तजुर्बा ए मर्दानगी में औरतें काम लाई जाती हैं |
मर गईं जो तो चीख पुकार जुलूस मोमबत्तियाँ
गर जिंदा जो रहीं मौत तलक तड़पाई जाती हैं |
अक्सर इस देवी के देश के रहनुमा कहते हैं
क्या हुआ कुछ गलतियाँ लडकों में पाई जाती हैं |
कुचल कर तितलियाँ झाड़ों से लटकाई जाती हैं |
साड़ियाँ सलवारें बिंदियाँ और चूड़ियाँ मसल कर
मासूम शक्लें परियों की तेजाब से भिगोई जाती हैं |
घर, मोहल्ला, शहर या हो मैदान किसी जंग का
तजुर्बा ए मर्दानगी में औरतें काम लाई जाती हैं |
मर गईं जो तो चीख पुकार जुलूस मोमबत्तियाँ
गर जिंदा जो रहीं मौत तलक तड़पाई जाती हैं |
अक्सर इस देवी के देश के रहनुमा कहते हैं
क्या हुआ कुछ गलतियाँ लडकों में पाई जाती हैं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)