मेरे दर्द की कहानी
सुन्ना भी उन्हें
कहाँ मंज़ूर थी
मेने अपना दर्द बयान किया
थोड़ी सी उबासी लेकर
बढ़ी खूबसूरती से
मुझे टालते हुए
उन्होंने कहा
चलती हूँ ,,
मेरी भी इबादत का वक़्त हुआ है ,,,अख्तर
सुन्ना भी उन्हें
कहाँ मंज़ूर थी
मेने अपना दर्द बयान किया
थोड़ी सी उबासी लेकर
बढ़ी खूबसूरती से
मुझे टालते हुए
उन्होंने कहा
चलती हूँ ,,
मेरी भी इबादत का वक़्त हुआ है ,,,अख्तर
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