नागपुर. भाजपा में किनारे लगे नेताओं का महत्व कायम रखने की
कवायद आरंभ हो गई है। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के पहले संघ ने इस मामले
में गृहकार्य आरंभ कर दिया है। संघ मुख्यालय में भाजपा के केंद्रीय नेताओं
के आगमन के साथ इस तरह की चर्चा को बल मिल रहा है। बुधवार को पूर्व
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी व सुब्रम्हण्यम स्वामी ने
सरसंघचालक से मुलाकात कर लंबे समय तक चर्चा की।
शुक्रवार को भाजपा उपाध्यक्ष उमा भारती संघ मुख्यालय पहुंच सकती हैं।
सूत्र का दावा है कि मतगणना के पहले लालकृष्ण आडवाणी भी यहां पहुंचेंगे।
केंद्र में राजग सरकार बनने की स्थिति में भाजपा के उन नेताओं को महत्व
देने की वकालत की जा रही है, जो किसी न किसी कारण से पार्टी में उपेक्षा या
आंतरिक चुनौती झेल रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा में करीब आधा दर्जन शीर्ष स्तर के नेता
असंतोष के दौर से गुजर रहे हैं। चुनाव में किसी का टिकट काट दिया गया तो
किसी को ऐसे स्थान से लड़ाया गया, जहां उनकी कोई तैयारी ही नहीं थी। आडवाणी
भोपाल से लडऩे की बात नहीं मनवा पाए। जसवंत सिंह को उम्मीदवारी ही नहीं
मिली। मुरली मनोहर जोशी वाराणसी नहीं छोडऩा चाहते थे। उमा भारती झांसी जाने
के सवाल पर कसमसाहट व्यक्त कर रही थी।
उन्होंने यह भी कहा था कि मध्यप्रदेश का एक मंत्री उनके विरोध में
षडय़ंत्र रच रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि संघ व भाजपा में समन्वय के
लिए कुछ नेताओं की भूमिका में बदलाव की तैयारी की जा रही है। चुनावी
स्थितियों का आकलन भी किया जा रहा है।
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