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05 मई 2014

मोदी के खिलाफ लामबंद हुए बुद्धिजीवी, प्रचार में आगे निकले केजरीवाल




नई दिल्ली. भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवानरेंद्र मोदी की बनारस से जीत को मुश्‍किल बनाने के लिए विरोधी हर तरह से जोर लगा रहे हैं। इसी कड़ी में कुछ सामाजिक कार्यकर्ता रविवार को शहर में इकट्ठे हुए और उनके खिलाफ प्रचार की रणनीत‍ि बनाई। वैसे भी चुनावी बैठकों के मामले में बनारस में आम आदमी पार्टी के उम्‍मीदवार अरविंद केजरीवाल अपने प्रतिद्वंद्वी मोदी से आगे निकले हुए हैं। ऐसे में भाजपा ने बड़ा 'गेम प्‍लान' बनाया है। उसकी कोशिश पूरे पूर्वांचल के मतदाताओं पर डोरे डालने की है। मोदी बनारस समेत पूरे पूर्व उत्तर प्रदेश में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए भोजपुरी कार्ड को भुनाने की तैयारी में हैं।  
 
दरअसल, यूपी की चुनावी लड़ाई में अब सारी प्रमुख पार्टियों का जोर बनारस और अमेठी पर है। वजह यह है कि बनारस से जहां भाजपा के प्रधानमंत्री पद के पीएम उम्‍मीदवार और आम आदमी पार्टी के मुखिया चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं अमेठी से कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी मैदान में हैं।
 
बनारस में 12 मई को वोट पड़ने हैं। मोदी अब अपना ज्‍यादातर समय वहीं देने वाले हैं। बनारस से ही वह यूपी की बाकी बची सीटों के चुनाव की कमान संभालेंगे। अमेठी में सात मई को होने वाली वोटिंग से पहले सोमवार को चुनाव प्रचार के आखिरी दिन नरेंद्र मोदी प्रचार करेंगे।  
 
भाजपा और मोदी बनारस में अपनी जीत के प्रति आश्‍वस्‍त लग रहे हैं। लेकिन, मोदी को इस सीट से हराने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस हर दांव चल रही है। इसकी काट में  मोदी भोजपुरी का मुद्दा उठा कर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
भोजपुरी को आधिकारिक भाषा का दर्जा होगा मुद्दा-
 
मोदी पूर्वी उत्तर प्रदेश में भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करवाकर आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के मुद्दे को जोर शोर से उठाकर लोगों का दिल जीतना चाहते हैं। सूत्र बताते हैं कि मोदी यहां रैलियों के दौरान इस मुद्दे को हवा देंगे। बता दें कि इस क्षेत्र के लोग भोजपुरी को आधिकारिक दर्जा दिलाने की मांग काफी वक्‍त से उठाते रहे हैं, ताकि इसके प्रचार-प्रसार में सरकारी मदद मिल सके।

कहां कहां बोली जाती है भोजपुरी- 
भोजपुरी सिर्फ यूपी और बिहार के 27 जिलों में ही नहीं बोली जाती है, बल्कि इसकी ठसक विदेशों तक में है। यह विश्व के 14 देशों में सहजता के साथ बोली और स्वीकार की जाती है। 
 
यूपीए ने लटका रखा है मुद्दा-

भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के मुद्दे को यूपीए सरकार ने काफी वक्त पहले ठंडे बस्ते में डाल दिया था। वजह यह बताई गई कि अगर ऐसा हुआ तो यूपीएससी जैसी परीक्षाएं भी इस भाषा में करानी होंगी, जबकि इस भाषा के विशेषज्ञों की भारी कमी है। हालांकि, भाजपा का मानना है कि इस समस्या को दूर किया जा सकता है।

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