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05 मई 2014

ममता को घेरने में फिर गलतबयानी कर गए मोदी




नई दिल्ली। रविवार को बांग्लादेश से आए मुस्लिमों के मुद्दे पर बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी ने प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को निशाने पर लिया। आसनसोल में सभा के दौरान मोदी ने ममता पर करारे वार भी किए। उन्होंने गुजरात के मुसलमानों और बंगाल के मुसलमानों की स्थिति पर सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कुछ आंकड़े भी सामने रखे, जो गुजरात के मुसलमानों का बेहतर स्थिति में होना दर्शाते हैं। इन आंकड़ों की मदद से मोदी ने सांप्रदायिकता बनाम विकास और गर्वनेंस की बात की।
 
मोदी के द्वारा रखे गए इन आंकड़ों की पड़ताल करें, तो पता चलता है कि गुजरात में अल्पसंख्यक समुदाय कुछ मामलों बंगाल के मुस्लिमों से बेहतर स्थिति में हैं, लेकिन कुछ मामलों में मोदी के आंकड़े सही नहीं है। एक तथ्‍य यह भी है कि जिन विषयों पर मोदी ने ममता को घेरने की कोशिश की है, उन आंकड़ों के लिए वे जिम्मेदार ही नहीं थी, क्योंकि उस वक्त उनकी सरकार बंगाल में नहीं थी।

गुजरात में - 
4000 यात्री गुजरात सरकार से मिलने वाली सब्सिडी पाने योग्य हैं। इसमें हवाई यात्रा भी शामिल है।
वास्तविक आवेदकः 40 हजार

प. बंगाल में 
वास्तविक कोटा-12 हजार
सालाना आवेदन- कोटे से बेहद कम

मोदी का तर्क- बेहतर आर्थिक परिस्थितियों के चलते बंगाल की तुलना में गुजरात के ज्यादा से ज्यादा मुस्लिमों को यात्रा पर भेजा जाता है।

वास्तविकता- गुजरात हज कमेटी के चेयरमैन मेहबूब अली के मुताबिक, उनके राज्य में हजयात्रा का कोटा 4700 का है, न कि मोदी के कहे अनुसार 4000 का। हालांकि अंतर ज्यादा नहीं है, लेकिन आंकड़ों में यह ऊंच-नीच उनके दावों को कमजोर साबित करती है और उनकी स्थिति को भी।
प्रति व्यक्ति आय में आंकड़े गलत

गुजरात-
- ग्रामीण गुजरात में प्रति मुस्लिम की आय- 700 रुपए प्रतिमाह
- शहरी गुजरात में प्रति मुस्लिम की आय- 900 रुपए प्रतिमाह

प. बंगाल
- ग्रामीण बंगाल में प्रति मुस्लिम की आय- 500 रुपए प्रतिमाह
- शहरी बंगाल में प्रति मुस्लिम की आय- 700 रुपए प्रतिमाह
प्रति व्यक्ति आय में आंकड़े गलत

गुजरात-
- ग्रामीण गुजरात में प्रति मुस्लिम की आय- 700 रुपए प्रतिमाह
- शहरी गुजरात में प्रति मुस्लिम की आय- 900 रुपए प्रतिमाह

प. बंगाल
- ग्रामीण बंगाल में प्रति मुस्लिम की आय- 500 रुपए प्रतिमाह
- शहरी बंगाल में प्रति मुस्लिम की आय- 700 रुपए प्रतिमाह

वास्तविकता- यहां भी मोदी के आंकड़ों में भिन्नता है। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट कहती है कि प्रति व्यक्ति द्वारा खर्च की गई राशि से आर्थिक मजबूती का अंदाजा लगाया जाता है, जिसमें ऊर्जा पर ज्यादा खर्च किया गया है। और इसके आंकड़े भी मोदी के दिए आंकड़ों से ज्यादा या कम हो सकते हैं। संभव है जब मोदी ने इन आंकड़ों को पेश किया, तो वे कागजात नीचे दब गए हों। मोदी के रणनीतिकारों ने भी इन आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। जबकि सच्चाई अलग है।
 
मोदी ने कहा कि गुजरात के शहरी इलाकों में मुस्लिम 900 रुपए प्रतिमाह कमाते हैं। लेकिन सच्चर कमेटी की रिपोर्ट कहती है कि 2004-2005 में यह आंकड़ा 875 रुपए था। मोदी ने कहा कि बंगाल के मुस्लिम 700 रुपए कमाते हैं, जबकि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट दिखाती है कि 2004-05 में शहरी बंगाल के मुस्लिमों की आय 748 रुपए प्रतिमाह थी। इसी तरह ग्रामीण इलाकों के आंकड़ों में भी अंतर है। मोदी ने कहा कि गुजरात में 700 रुपए कमाते हैं, जबकि रिपोर्ट कहती है कि यह सिर्फ 668 रुपए है। रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मुस्लिम 501 रुपए कमाते हैं, जबकि मोदी ने 500 रुपए कहा था।

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