जमशेदपुर. कमर के नीचे शरीर का आधा भाग नहीं है। एक हाथ भी
बेकार। ठीक से बैठ नहीं पाते, लेकिन जीने का जज्बा कमाल का है। पत्नी या
भाई के सहारे उठना-बैठना होता है, मगर बेबसी पर घबराए नहीं। जिंदगी को बोझ
नहीं समझा। पत्नी के प्यार के सहारे इसे ताकत बनाया और लगभग तीन साल से
मानगो में होटल व्यवसाय कर रहे हैं। यह कहानी है जाकिरनगर, रोड नंबर-11,
वेस्ट मानगो निवासी मो. शहाबुद्दीन (शहाब) की। साल 2010 में शहाब ने लव
मैरिज किया था। शादी के सात महीने बाद आबुधाबी में हुई दुर्घटना में वे
शरीर का आधा हिस्सा गंवा चुके हैं। पत्नी मासूमा बेगम ने हौसला दिया।
उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज वे सफल होटल व्यवसायी हैं। मानगो में
उन्होंने बेटे के नाम पर 'शहबान होटल' खोल रखा है।
कमजोरी नहीं, उनकी ताकत हूं : मासूमा
शहाब की पत्नी मासूमा कहती हैं, दुर्घटना के बाद आबुधाबी में डॉक्टरों
ने जवाब दे दिया था कि पति नहीं बचेंगे। लेकिन, यकीन था कि उनकी जिंदगी
सलामत रहेगी। बकौल मासूमा, 'जब शहाब आए, तो उन्हें देखने के बाद कई
रिश्तेदारों ने कहा था कि मैं अलग घर बसा लूं। लेकिन, मेरे लिए वो सबकुछ
हैं। वो मेरा प्यार हैं। मुसीबत की घड़ी में कैसे साथ छोड़ दूं। मैं पति की
कमजोरी नहीं, उनकी ताकत हूं।'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)