रिपोर्ट में कहा गया है कि एक महिला को भगवान के कपड़े सिलने के लिए रखा गया था। बाद में उसे कंप्यूटर ऑपरेटर बना दिया गया। एक गार्ड ने उसके यौन उत्पीड़न की कोशिश की। जब महिला ने इसकी शिकायत की तो उसे नौकरी से निकाल दिया गया। पुलिस कमिश्नर ने भी इस बात की तस्दीक की है। अमाइकस क्यूरी ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाने का सुझाव दिया है। मंदिर परिसर में पद्मनाभ दास नामक व्यक्ति पर एसिड अटैक हुआ था। उसने कुछ लोगों को मंदिर से आभूषण ले जाने से रोका था।
बहुमूल्य वस्तुओं का लेखा-जोखा नहीं
अमाइकस क्यूरी गोपाल सुब्रह्मण्यम ने मंदिर का 35 दिनों तक निरीक्षण किया। उन्होंने पाया कि विभिन्न कमरों में बहुमूल्य चीजें पड़ी थी, जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं था। उन्होंने संपत्ति की जांच पूर्व सीएजी विनोद राय से कराने का आग्रह किया है। साथ ही कहा है कि मंदिर के वर्तमान ट्रस्टी (ट्रावनकोर रॉयल फैमिली) और उसके परिवार को मंदिर के कामकाज में दखल की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मंदिर में मिले गोल्ड प्लेटिंग मशीन से आशंका है कि मंदिर से सोने के कुछ आभूषण चोरी हुई है और उसकी जगह नकली आभूषण रखे गए होंगे। उल्लेखनीय है कि 2011 में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में आकूत संपत्ति मिलने की बात सामने आई थी। तब मंदिर की संपत्ति करीब एक लाख करोड़ रुपए आंकी गई थी।
तहखानों में से मिली राशि की कीमत 5 लाख करोड़ रुपये आंकी
केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम के श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर में कुल छह तहखाने हैं, जिनमें से अब तक पांच को खोला गया है और इन पांच तहखानों में से मिली राशि की कीमत 5 लाख करोड़ रुपये आंकी जा रही है। जी हां, पांच लाख करोड़ यानि एक स्विस बैंक की टक्कर का हमारे भारत में एक मंदिर है और यह पांच लाख करोड़ तो वह राशि है जो इसकी असली कीमत है। मंदिर में कई ऐसी पुरानी और विशेष वस्तुएं भी हैं जो दुर्लभ हैं और विश्व की ब्लैक मार्केट में इनकी कीमत चौगुनी हो जाती है। कुल मिलाकर कहा जाए तो मंदिर के तहखाने से इतना धन मिलना यह साफ दर्शाता है कि भारत के गरीब होने का कारण यहां संपदाओं की कमी नहीं बल्कि उसका गलत इस्तेमाल है।
देश के कई राज्यों के सालाना बजट से कहीं ज्यादा मंदिर की सम्पति
इस मंदिर से अभी तक जो धनराशि मिली है, उसका यदि तुलनात्मक मूल्यांकन
किया जाए तो यह देश के कई राज्यों के सालाना बजट से कहीं ज्यादा है।
दिल्ली, झारखंड और उत्तराखंड के कुल वार्षिक बजट से भी यह राशि 23 हजार
करोड़ रुपये ज्यादा है। देश की सबसे बड़ी मनरेगा परियोजना का बजट भी इससे आधा
है। तिरुपति बालाजी मंदिर के पास भी इतनी दौलत है कि वह देश के कुल बजट के
पांचवें हिस्से तक पहुंच गई।
इस मंदिर के खजाने में अभी 50 हजार करोड़ रुपये जमा हैं। एक साल में
करीब 650 करोड़ कमाने वाले अरबपति बालाजी भगवान दुनिया में सबसे धनपति भगवान
हैं। यह मंदिर अब विदेशी मुद्रा की आय का भी जरिया बन रहा है। अमेरिका,
ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया जैसे 12 देशों की
मुद्रा चढ़ावे के रूप में यहां उपलब्ध है। इस मंदिर की करीब एक सौ करोड़
रुपये की वार्षिक कमाई अकेले मुंडन कराने आए श्रद्धालुओं के बाल काटकर
बेचने से होती है।
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