आपका-अख्तर खान

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15 अप्रैल 2014

लोग कहते है

लोग कहते है
चाहत चाहे कोसों दूर हो ,,
चाहत तो चाहत होती है
दिल इधर दुखता है
तकलीफ उधर होती है ,,
कोई इसे प्यार का अहसास कहता है
तो कोई इसे विज्ञान में टेलीपैथी कहता है
शायद यह सच हो,,
लेकिन
आज में उदास था जब
मेरी चाहत ,,मेरा प्यार ,,मुझ से किये गए वायदे
सब झूंठ ,,सब झांसे साबित हुए
इधर में तड़पता रहा
इधर में उदासी की गहराइयों में था
उधर वोह अपनों के साथ खिलखिला रहे थे
न उन्हें मेरे दुःख की फ़िक्र
न उन्हें मेरे दर्द का अहसास
अगर दिल से दर्द का रिश्ता होना लोग कहते है
तो यह सच है
उनका मुझ से कोई रिश्ता नहीं
उन्हें मुझ से ज़रा भी प्यार नहीं
तभी तो
मेरे दर्द ,,मेरी उदासी ,,मेरी तड़पन का उन्हें
ज़रा भी अहसास नहीं
अब तो
उनका न दर्द का रिश्ता न प्यार का रिश्ता
बस एक अजनबी सा अहसास
एक भुला देने वाला सच
एक गुज़रा हुआ कल बन गया हूँ में ,,,,,,

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