बता दें कि एक अमेरिकी वेबसाइट ने हाल में ही प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा के बारे में चौंकाने वाले खुलासे किए थे। वेबसाइट ने दावा किया था कि वाड्रा ने महज 1 लाख रुपए के निवेश से पांच साल के अंदर 322 करोड़ रुपये बनाए।
प्रियंका ने कहा कि मुझे वोट मांगना अच्छा नहीं लगता। आपसे कुछ भी
मांगना अच्छा नहीं लगता, आपने बहुत दिया है। रायबरेली ने मेरी मां को बहुत
कुछ दिया है। आप लोग सोच-समझकर वोट दें। मुझे दुख इस बात का है कि हमारे
देश में चुनाव देश के विकास पर आधारित होना चाहिए। हम देश को आगे कैसे
बढ़ाएंगे, इसके बारे में बातें होनी चाहिए, लेकिन इसके बजाए फिजूल की बातें की जा रही हैं।
प्रियंका के बयान पर बीजेपी
प्रवक्ता लेखी ने कहा है कि निश्चित तौर पर वह अपने पति का बचाव करेंगी
और वह पत्नी के तौर पर इस तरह के आरोपों से खुश नहीं होंगी, लेकिन लोग भी
उनके पति को लेकर नाखुश हैं।वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वाड्रा ने 2007 में अपनी
कंपनी 1 लाख रुपये के निवेश के साथ शुरू की थी। कंपनी के जरिए 2012 में
वाड्रा ने 12 मिलियन डॉलर (72 करोड़ रुपए से ज्यादा) की प्रॉपर्टी बेची।
उनके पास अभी भी 42 मिलियन डॉलर यानी करीब 250 करोड़ रुपए की रीयल एस्टेट
प्रॉपर्टी है। यानी 2007 से 2012 के बीच वाड्रा की संपत्ति 1 लाख रुपये से
बढ़कर 322 करोड़ रुपए पहुंच गई। वेबसाइट के मुताबिक, वाड्रा और गांधी
परिवार के लिए महेश नागर नाम के एक नेता जमीनों का सौदा करते हैं। वहीं,
रॉबर्ट वाड्रा के प्रवक्ता का कहना है कि राजनीतिक कारणों से उनकी छवि
खराब की जा रही है। प्रवक्ता के मुताबिक, वाड्रा ने सभी कानूनों का पालन
किया है और किसी की कोई मदद नहीं ली है। अधिकांश राजनीतिक जानकार नेहरू-गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाले
रायबरेली से चुनाव लड़ रहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की जीत तय मान
रहे हैं। इसकी वजह यह है कि बरसों से रायबरेली में गांधी परिवार के खिलाफ
जातीय समीकरण काम नहीं करते और उन्हें हर वर्ग और जाति का वोट मिलता है।
इसके अलावा, उनके खिलाफ कोई मजबूत प्रत्याशी न होने से भी उनकी जीत लगभग
तय मानी जा रही है। ये जानकार मानते हैं कि सोनिया के सामने जीत के अंतर को
बरकरार रखने या बढ़ाने की चुनौती होगी।
राह इतनी आसान भी नहीं
राह इतनी आसान भी नहीं
2009 के लोकसभा चुनाव में पौने चार लाख वोटों से सोनिया गांधी को
जिताने वाले रायबरेली संसदीय क्षेत्र में तीन साल बाद हुए विधानसभा चुनाव
में कांग्रेस को पांच में से एक सीट न मिली। यहां जातिगत समीकरण भले न के
बराबर चलते हों, लेकिन पार्टी की ओर से विभिन्न जातियों को रिझाने की
कोशिशें जारी हैं। इसके अलावा, सोनिया ने बीते 10 साल में यहां रेल कोच
फैक्टरी, पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी संस्थान और 5 रिवर्स ऑस्मोसिस प्लांट लगवाए
हैं। इसके बावजूद उनकी राह बिलकुल आसान तो नहीं ही मानी जा रही है। बता
दें कि यहां 15 लाख 64 हजार 890 वोटर रजिस्टर्ड हैं। इनमें से करीब 8 लाख
42 हजार पुरुष वोटर, जबकि बाकी महिलाएं हैं।
पक्ष में : देश की राजनीति का बड़ा चेहरा। पासी, ब्राह्मण, मुस्लिम और ठाकुर मतदाताओं के बीच पकड़। कमजोर विपक्ष।
विपक्ष में : रायबरेली में बिजली, सड़क, पानी जैसी सुविधाओं की कमी और बढ़ती बेरोजगारी से कांग्रेस के प्रति बढ़ी नाराजगी।
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