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05 मार्च 2014

हाथों से महरूम पर नहीं मानी हार, पैरों से पर्चा लिखेगी दामिनी



रायपुर. कुछ कर गुजरने का जोश, जज्बा और हुनर हो तो पूरी दुनिया आपकी हिम्मत को सलाम करती है। बंजारी माता स्कूल की 10वीं क्लास की स्पेशल स्टूडेंट दामिनी सेन के हौसले और हुनर को देखकर छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने भी अपने नियमों को थोड़ा शिथिल कर लिया है। दामिनी वो लड़की है, जिसने ऐसे बच्चों को लिखना सिखाया है, जिनके हाथ नहीं है। बचपन से ही दामिनी के दोनों हाथ नहीं है, वो अपने पैर के अंगूठे और उंगली के बीच पेन फंसाकर लिखती हैं और अच्छे मार्क्स भी लाती हैं। पूरा पेपर हल करने के लिए दामिनी को 10वीं की परीक्षा में माशिमं 60 मिनट एक्स्ट्रा समय देगा।
दामिनी के हुनर और हिम्मत को देखते हुए बाल दिवस पर सिटी भास्कर ने उन्हें गेस्ट एडिटर बनाया था। पढ़ाई में तेज दामिनी को अन्य विधाओं मे भी महारत हासिल है। दामिनी ने पेंटिंग कंपटीशन में राज्य स्तर पर कई पुरस्कार जीते हैं।
ये है पूरा मामला
माशिमं के संजय जोशी ने बताया कि मंडल की ओर से दृष्टिहीन स्टूडेंट्स को ही राइटर और एक्स्ट्रा टाइम की सुविधा दी जाती है। अस्थिबाधित विकलांगों को राइटर की सुविधा तो दी जाती है, लेकिन एक्स्ट्रा टाइम नहीं दिया जाता। दामिनी इसी श्रेणी में आती हैं, लेकिन वो राइटर नहीं लेना चाहती। दामिनी ने खुद लिखने की इच्छा जाहिर करके एक्स्ट्रा टाइम मांगा था। बच्ची के हौसले, शारीरिक स्थिति और अच्छे भविष्य को ध्यान में रखकर माशिमं ने उसे 60 मिनट का अतिरिक्त समय देने का निर्णय लिया। कुछेक स्पेशल केसेज में पहले भी ऐसा निर्णय लिया गया है।
इसलिए किया एक्स्ट्रा टाइम के लिए आवेदन
मंडल के पंजीयक एसएस पोर्ते ने बताया कि दामिनी ने बुधवार को हिंदी की परीक्षा में केन्द्राध्यक्ष में एक्स्ट्रा टाइम की मांग की थी। पैर से लिखने के कारण उसकी राइटिंग स्पीड थोड़ी स्लो है। केंद्राध्यक्ष ने एक्स्ट्रा टाइम देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद वो अपने स्कूल प्रिंसिपल हरिभाई जोशी के साथ माशिमं कार्यालय पहुंचीं और अध्यक्ष टी राधाकृष्णन को आवेदन दिया। स्पेशल केस देखते हुए उन्हें एक्स्ट्रा टाइम देने का निर्णय लिया गया।

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