आपका-अख्तर खान

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05 मार्च 2014

,दोस्तों खुद के लिए तो एमरजेंसी में क़ानून के खिलाफ काम करने पर गिरफ्तारी हुई तो यह लोग चीख पढ़े और फिर जब जेल में गए तो खुद की सरकार आते ही खुद ने खुद को मीसाबंदी बताकर पेंशन और क्षतिपूर्ति राशि देश के खज़ाने से लेना शुरू कर दिए करोड़ों रूपये उढाये जा रहे है लेकिन जो निर्दोष अपनी जवानी इस काले क़ानून में जेल में बंद होकर गुज़ारने के बाद जेल से बा इज़ज़त बरी होता है तब उसके लिए कोई मुआवज़ा नहीं अजीब बात है ,,,,,,

दोस्तों देश और देश की जनता विदेशी दबाव में बनाया गया विधि विरुद्ध क्रिया कलाप प्रतिषेध अधिनियम याने अनला फूल एक्टिविटी प्रवेंशन एक्ट यु ऐ पी ऐ को हटाने की मांग कर रही है ,,यह सच है के यह देश की जनता के लिए आम आदमी के लिए दलित ,,शोषित और पीड़ितों के लिए काला क़ानून ,,बदले की राजनीति वाला क़ानून साबित हुआ है ,,इस क़ानून के दुरूपयोग से देश की नीवें हिल गयी है क्योंके यह क़ानून हिंदुस्तान में हिन्दुस्तानियों के लिए नहीं बल्कि विदेश यानि अमेरिका में भारत की सरकार के कान पकड़ कर भारत के दलित और शोषितों पर ज़ुल्म करने के लिए  बनवाया गया था कितनी अजीबी बात है देश हमारा जनता हमारी और क़ानून बनाने के लिए दबाव विदेशियों का वाह जनाब वाह ,,,खेर देश और देश की जनता इस विधि विरूद्ध क्रिया कलाप अधिनियम के खिलाफ है और इसे हटाने के लिए दिल्ली में कल देश भर के लोगों ने प्रबंधन तरीक़े से आवाज़ उठाते हुए तालकटोरा स्टेडियम में एकजुट होकर इस काले क़ानून को काला साबित कर दिया ,,,लेकिन मेरा स्व्भाव चलो रे वाला है ,,में नहीं चाहता के यह काला क़ानून खत्म हो में चाहता हूँ यह काला क़ानून बना रहे लेकिन इसकी परिभाषा इसके अपराधियों की परिभाषा संशोधित की जाए ,,,,,,,,,,,,दोस्तों विधि विरुद्ध क्रिया कलाप किसे कहते है देश जानता है ,,लेकिन रिश्वत लेना ,,बलात्कार करना ,,,भ्रष्टाचार फैलाना ,,,,जमाखोरी करना ,,काला धन एकत्रित करना ,,,सामूहिक क़त्ले आम करना ,,साम्प्रदायिक घ्रणा फैलाना ,,देश तोडना ,,देश का संविधान तोडना ,,विधि विरूद्ध क्रिया कलाप याने अन ला फूल एक्टिविटी नहीं है ,,है न हास्यास्पद बात यह सारे अपराध विदेश की टेबल पर बने इस क़ानून में विधि विरूद्ध क्रिया कलाप की श्रेणी में नहीं है ,,और इसीलिए यह अपराधी  छूटे हुए है ,,,,,दोस्तों मेरी समझ है के विदेशी टेबल पर बने मेरे देश के निहत्थे ,,मासूम लोगों पर लागू  किये जा रहे इस क़ानून का दायरा अब स्व्देशी अपराध नियंत्रण का होना चाहिए इसमें ,,,,,,,,,जो लोग जमाखोर है ,,,,,जो लोग भ्रष्ट निकम्मे कामचोर देश के सौदेबाज़ है ,,,,,,,,जो लोग मिलावट खोर है ,,,जो लोग संविधान की भावना के विपरीत देश तोड़ने की बात करते है ,,,,जो लोग गांधी के हत्यारो को महिमामंडित करते है ,,जो लोग तिरंगे का अपमान करते है ,,जो लोग पाकिस्तान ज़िंदाबाद करते है ,,,जो लोग विधानसभा लोकसभा में निर्वाचित होकर जाते है संविधान की शपथ लेते है लेकिन वहाँ बेठ कर ली गयी शपथ का उलंग्घन करते है ,,,,,,,,,,जो लोग सियासी पार्टियों से चुनाव जीत कर जाते है लेकिन बाद में सत्ता के लालच में या फिर खुद को बेचकर दूसरी पार्टी में शामिल हो जाते है ,,दलबदल करते है या फिर सरकार गिरने से बचाते है ,,अल्पमत लोगों को सरकार में लाते है ,,,,जो लोग संसद ,,विधानसभा में बहस नहीं करते चीख पुकार करते है लड़ाई झगड़ा करते है तोड़फोड़ करते है ,,किसी ख़ास मुद्दे पर मौजूद नहीं रहते वाक् आउट करते है ,, भ्रष्टाचार फैलाते है अपना वोट नहीं देने के रूपये या फिर सुविधा लेकर बहिर्गमन करते है ऐसे लोगों के खिलाफ यह कार्यवाही होना चाहिए ,,जो लोग सामूहिक बलात्कार करते है ,,जो लोग सामूहिक नरसंहार करते है जो लोग राजधर्म का पालन नहीं करते देश के नागरिको को वोटर बनाते है या फिर  जाती धर्म के आधार पर बाँट कर धार्मिक और जातिगत भाषावादी अधर पर सरकारी महकमे को शामिल कर क़त्ले आम करवाते है ,,नफरत फैलाते है देश तोड़ने की बात करते है ,, विशेष समुदायों को टारगेट बनाकर उनकी सुविधाएं छीनते हिअ उन्हें परेशान करने के लिए क़ानून ,,नियम बनाते है ऐसे लोगों के खिलाफ यह क़ानून होना चाहिए ,,दोस्तों और भी कई अपराध है जो में गिना नहीं सका ,, मुसलमान हो चाहे सिक्ख हो चाहे ईसाई हो अगर वोह जाती धर्म के आधार पर क़त्ले आम करते है भगवा आतंकवाद हो चाहे इस्लामिक आतंकवाद हो फैलाते है तो उनेक लिए यह क़ानून होना चाहिए आम आदमी के लिए नहीं ,,अगर ऐसा हुआ तो देश की जनता को  धोखा देने वाले ,,देश की जनता को भ्रमित करने वाले और  मूल्य नियंत्रण अधिनियम  का उलन्घन कर एक रूपये पर सो रूपये का मुनाफा कमाने वालों और उनके दलाल सियासी लोग ,,शपथ का उलंग्घन करने वाले लोग संसद विधानसभा में बहिर्गमन करने वाले शोरशराबा करने वाले लोग भ्रष्टाचार फैलाने वाले लोग इस क़ानून के दायरे में जेल में होंगे और देश में रामराज्य स्थापित हो जाएगा ,,,,,दोस्तों खुद के लिए तो एमरजेंसी में क़ानून के खिलाफ काम करने पर गिरफ्तारी हुई तो यह लोग चीख पढ़े और फिर जब जेल में गए तो खुद की सरकार आते ही खुद ने खुद को मीसाबंदी बताकर पेंशन और क्षतिपूर्ति राशि देश के खज़ाने से लेना शुरू कर दिए करोड़ों रूपये उढाये जा रहे है लेकिन जो निर्दोष अपनी जवानी इस काले क़ानून में जेल में बंद होकर गुज़ारने के बाद जेल से बा इज़ज़त बरी होता है तब उसके लिए कोई मुआवज़ा नहीं अजीब बात है ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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